पक्ष

मेरे कई मित्र मुझे उलाहना देते हैं कि मैं एकपक्षीय लिखता हूँ ।

हाँ मैं लिखता हूँ क्योंकि मैं व्यक्ति नहीं पक्ष देखता हूँ।अपने धर्म व राष्ट्र का पक्ष और धर्म व अधर्म के युद्ध में केवल दो ही पक्ष होते हैं। या तो आप धर्म की तरफ़ होते हैं या अधर्म की तरफ़ और जो संतुलन या निरपेक्षता का लबादा ओढ़ते हैं वे वास्तव में अधर्म के ही पक्ष में होते हैं।

महाभारत में पांडवों के पक्ष में सारे योद्धा दूध के धुले नहीं थे और ना कौरवों के पक्ष के सारे योद्धा पापी थे। पांडवों की ओर घटोत्कच जैसा ऋषिद्रोही राक्षस भी था और कौरवों की ओर भीष्म व द्रोण जैसे पवित्रात्मा थे।

पर अगर बात मूल पक्ष की करें तो पांडवों के पक्ष में #धर्म था इसलिये घटोत्कच जैसा राक्षस भी कृष्ण ने स्वीकार कर लिया जबकि कौरवों का पक्ष #अधर्म का था इसलिये साधुपुरूष भीष्म को मारने के लिये वे रथ का पहिया उठाकर दौड़ पड़े।

कृष्ण के मन में कोई दुविधा नहीं थी। धर्म को जिताने के लिये हर वो उपाय किया जो तथाकथित शुचितावादी पाखंडियों की निगाह में छल व पाप था।

कृष्ण निर्द्वंद थे क्योंकि वे जानते थे कि दुर्योधन व दुशासन पापी थे और  उनसे नैतिक व धर्मयुद्ध करना पाप की जीत की राह खोलने जैसा होगा।

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हाँ मैं एकपक्षीय लिखता हूँ क्योंकि मैं अपने इतिहास से प्रेरणा और मार्गदर्शन लेता हूँ।

क्या गिरिधर गोमंग के वोट से वाजपेयी सरकार को गिराने में कांग्रेस ने नैतिकता का परिचय दिया था?

क्या वादा करके एन मौक़े पर वाजपेयी सरकार को गिराने वाली मायावती नैतिक थी?

क्यादेश का अरबों खरबों निचोड़ने वाले, इस्लामिक आतंकवाद के समर्थक, विलासी व व्यभिचारी इन नेताओं के विरुद्ध केवल मोदी ही नहीं भाजपा का छोटा बड़ा हर नेता मर्यादापुरुषोत्तम राम होना चाहिये और उन्हें पूर्ण नैतिकता से चलना चाहिये?

अमां छोड़िये भी। आप जैसे हिंदू राम से भी कब संतुष्ट रहे?

और आप जैसे हिंदू अपनी ज़िंदगी में ख़ुद कितने नैतिक हैं जो आप राक्षसों से युद्धरत एक उदात्त राजनेता व उसकी राजनीतिक पार्टी से पूर्ण नैतिकता की अपेक्षा रखते हैं।

वर्तमान में नेहरु-गांधी परिवार द्वापर युग के कौरवों की भाँति है जिनकी जीत भ्रष्टाचार और इस्लामीकरण के रूप में अधर्म की विजय का मार्ग खोलेगी अतः इसे भारत की राजनीतिक ज़मीन से उखाड़ने  के लिये मोदी व अमितशाह का हर दाँव उचित है तो #जावेद_हबीब या अन्य चिरकुटों का भाजपा में शामिल होना कोई विशेष बड़ा मामला नहीं है और ना ही मोदीजी के अन्य राजनैतिक पैंतरे।

मुझे कोई शंका नहीं कि धर्म मोदी के पक्ष में हैं और जहाँ धर्म है वहाँ जनता जनार्दन के रूप में कृष्ण होते हैं और जहाँ कृष्ण हैं वहाँ विजय है।

।। यतो कृष्णस्ततो विजय ।।

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