कादर खान
सिविल इंजीनियरिंग के एक ऐसे प्रोफेसर जिनके लिखे शब्दों के पुल से गुज़र कर कई बॉलीवुड अभिनेता सुपरस्टार और महानायक बने; जो ख़ुद अभिनय की ऐसी शानदार इमारत रहे, जो पीढ़ी-दर-पीढ़ी सिनेमाई चलन की बदलती मिट्टी में भी मिसाल बने रहे, उस अद्भुत कलाकार-कलमकार
नायाब अभिनेता, बेहतरीन संवाद लेखक और एक शानदार इंसान कादर खान जी को विदा ।
वो अब हमारे बीच नही रहे ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे..!!
नए साल का पहला ही दिन बॉलीवुड के लिए बेहद खराब रहा. दिग्गज एक्टर-राइटर-निर्देशक कादर खान का 81 की उम्र में निधन हो गया है. उनके बेटे सरफराज खान ने निधन के खबर की पुष्टि की है. कनाडा के एक अस्पताल में कादर खान ने अंतिम सांस ली. मौत की खबर से बॉलीवुड सदमे में है.
एक टीवी चैनल से बातचीत के दौरान शक्ति कपूर का गला भर आया. उन्होंने कहा, अब कादर खान जैसा कोई नहीं होगा.
हाल ही में कादर खान की बीमारी के बाद मौत की अफवाह भी उड़ी थी. बाद में उनके बेटे सरफराज ने कहा था, "ये बातें फर्जी हैं और सिर्फ अफवाह भर हैं, मेरे पिता अस्पताल में हैं." कादर खान को सांस लेने में तकलीफ है. डॉक्टर्स ने उन्हें रेगुलर वेंटीलेटर से हटाकर BiPAP वेंटिलेटर पर रखा गया था.
कनाडा में कादर खान का इलाज चल रहा था. उनकी सलामती के लिए अमिताभ बच्चन ने भी ट्वीट किया था. लेकिन लोगों को हंसाने वाला अभिनेता अब नहीं रहा. अमिताभ ने कादर खान के साथ दो और दो पांच, मुकद्दर का सिकंदर, मि. नटवरलाल, सुहाग, कूली और शहंशाह में काम किया है.
हरफनमौला थे कादर खान
कादर खान हरफनमौला कलाकार थे. उनकी और गोविंदा की जोड़ी को परदे पर काफी पसंद किया गया. इनमें दरिया दिल, राजा बाबू, कुली नंबर 1, छोटे सरकार, आंखें, तेरी पायल मेरे गीत, आंटी नंबर 1, हीरो नंबर 1, राजाजी, नसीब, दीवाना मैं दीवाना, दूल्हे राजा, अखियों से गोली मारे आदि फिल्में कीं.
वैसे कादर खान ने खलनायक और तमाम चरित्र भूमिकाएं भी कीं. उन्होंने कई फिल्मों का निर्देशन भी किया. उन्होंने कई फिल्मों के मशहूर संवाद भी लिखे.
हमेशा सबको हंसाने वाले कादर खान अंदर से खूब टूटे थे
31 दिसम्बर 2018 की शाम 6 बजे कादर खान दुनिया को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया। पर्दे पर सबको हंसाने वाले इस ऐक्टर ने अपनी जिन्दगी में काफी दुख झेला है। उन्होंने जीवन में काफी उतार-चढ़ाव देखे... माता-पिता मुफलिसी की वजह से एक-दूसरे से अलग हो गए। उनके नाना के कहने पर उनकी मां की दूसरी शादी भी हुई, लेकिन जिन्दगी की मुश्किलें अपनी जिद्द पर रहीं और सौतेले पिता से कादर खान का तनाव शुरू हो गया। कादर खान की मां काफी मेहनत कर घर चलातीं, जिसे देखकर उनका दिल छलनी हो जाता। मां को ऐसे देख उन्होंने भी सोचा कि वह पढ़ाई छोड़कर अन्य बच्चों के साथ कहीं काम करेंगे ताकि घर का गुजारा ठीक से हो सके। किसी तरह मां को यह सब पता चला तो उन्होंने बेटे को समझाया कि वह ऐसा न करे, क्योंकि इससे घर का गुजारा नहीं चल सकता। ...और फिर वह मां ही थीं, जिन्होंने उन्हें काम छोड़कर पढ़ाई पर ध्यान देने के लिए कहा और इसके बाद कादर खान को कभी पढ़ाई के अलावा कुछ और न सूझा। अब किताबें ही उनकी दुनिया हो चुकी थीं। पढ़ाई करते हुए वह कॉलेज तक पहुंचे और कला में दिलचस्पी की वजह से उन्होंने नाटक डायरेक्ट करना शुरू कर दिया। साथ ही साथ पढ़ाई चलती रही और सिविल इंजिनियरिंग में उन्होंने डिप्लोमा भी कर लिया। साल 1970 से 75 के बीच में उन्होंने एम. एच. सब्बो सिद्दीक कॉलेज ऑफ इंजिनयरिंग, भायखला वहां पढ़ाया करते थे. इसके साथ नाटकों में काम भी जारी रहा. आखिरकार किस्मत पलटने का वक्त आ गया। उन्होंने मंच पर ऐसा नाटक 'लोकल ट्रेन' किया और दिलीप कुमार ने इस नाटक को देखने की इच्छा जताई। कादर खान ने बताया था कि इस नाटक को सारे अवॉर्ड मिले और इसी के साथ उन्हें 1500 रुपए कैश भी मिले थे। बस यहीं से वक्त ने पलटी मारी और दिलीप कुमार ने इन्हें अपनी फिल्मों के लिए उन्हें चुन लिया। 'सगीना महतो' और 'बैराग' में ऐक्टिंग के साथ 'जवानी दीवानी' के लिए डायलॉग लिखने का भी काम शुरू कर दिया। अमिताभ से लेकर कई फिल्मों के बड़े-बड़े ऐक्टर्स इन्हीं के डायलॉग बोलकर पर्दे पर छा गए। 'अमर अकबर एंथनी' से लेकर 'मुकद्दर का सिकन्दर' तक में इनके डायलॉग पर जमकर तालियां बजीं।कादर खान ने कुछ फिल्मों में विलन का भी रोल किया, लेकिन फिर कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने इस रोल को नहीं करने की ठान ली। दरअसल एक बार मोहल्ले के लड़कों ने कादर खान के बेटे को यह कहकर चिढ़ाया कि तुम्हारा बाप विलन है, जिसके बाद उनकी खूब लड़ाई हुई और कहते हैं कि इस लड़ाई में उनके बेटे के सिर से खून बहने लगा. कादर खान को जब यह सब पता चला तो उन्होंने ठान लिया कि अब वह पर्दे पर विलन का रोल कभी नहीं करेंगे। गोविन्दा के साथ कादर खान की केमिस्ट्री लाजवाब और हिट रही। कहते हैं हाल के दिनों में बीमार रहने के बावजूद कादर खान रंगमंच से जुड़े रहे और नए कलाकारों को शिक्षा देते रहे। आज वह भले हमारे बीच न हों, लेकिन दुनिया हमेशा उन्हें याद रखेगी। बॉलिवुड के हरफनमौला कलाकार के रूप में जाने जाते हैं कादर खान। चाहे ऐक्टिंग की बात हो या राइटिंग या फिर डायरेक्शन....हर चीज़ में अव्वल थे यह ऐक्टर। कादर खान को हमारा आखिरी सलाम।
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