क्या हार गये हम. . .
दुख हुआ बीजेपी हार गयी । मन और दिमाग के संघर्ष मे दिमाग जीता वही जैसा मुझे पिछले दो माह से लग रहा था । कांग्रेस नही जीती है क्युकी उसकी जीत का कोई ऐसा कारण था भी नही । तीनो प्रदेशों में बीजेपी नही उसका अतिआत्मविश्वास हारा है । तुष्टीकरण की नीती हारी है । अपने मूल वोटर को लात मारकर अवसरवादी वोट बैंक खड़ा करने की ग़लती हारी है ।अखंड भारत का सुनहरा सपना दिखाने वाले हमे जोड़ने के बजाय तोड़कर वोट बैंक बनाने चले थे । हिन्दु संस्कृति के वाहक का दम्भ भरने वाले हमारे देवताओं की जाती हमें बताने निकल पड़े । हर तरह से कुछ ख़ास वर्गों को अपना वोट बैंक बनाने के प्रयास में अपने मूल वोटर को नाराज़ ही नही किया बल्कि उसके स्वाभिमान को चोट भी पहुँचायी । उनको अपमानित किया । जिनके पैर छुकर काम प्रारंभ करने की संस्कृति थी उनको ठेस पहुचाई जबकि उन्होने आपसे कोई लाभ नही चाहा । बीजेपी भूल गयी की उसका मूल वोटर उसके विचार का समर्थक है, मुफ़्तख़ोरी का नही उसने आपको तब भी समर्थन दिया था जब आपकी दो सीटें नही आती थी । वो तब भी अपने घर पर शान से भगवा ध्वज फहराता था और आज आपके अपमान के बाद भी पहरा रहा है । बदले आप हो वो नही । उसने दुखी मन से ही सही पर आपको वोट किया । आप तुष्टीकरण मे नहाने के बाद भी अपनी लगभग सारी आरक्षित सीटें हार गए । मुफ़्तख़ोरी की योजनाओ से अवसरवादी वोट बैंक खड़े किये जा सकते है समर्पित विचार व समर्थक नही ।
पता नही उसके संगठन ने उपर यह बात क्यु नही पहुँचायी की अपनी जड़ो को काटकर हम हरे भरे कैसे रह पाएँगे ।
समय है ग़लती सुधार ले अपनी जड को पहचाने । उस ध्वज का सम्मान करे उन लोगो का सम्मान करे जिनके प्रेम और समर्पण ने आपको सत्ता चक पहुँचाया , उस कार्यकर्ता का सम्मान करे जो दुखी होकर भी आपकी गलत बात का विरोध ना कर सका ।
हार जीत चलती रहती है । लेकिन यह याद रखना ज़रूरी है कि नींव के पत्थर को हटाकर आप भवन को बचा नही पाएँगे क्युकी जो बना सकता है वो मिटा भी सकता है ।
वंदे मातरम् !
2. . .
मंत्री नरेंद्र मोदी के व्यक्तित्व कार्य शैली सकारात्मक पुरुषार्थी ईमानदारी देश भक्ति सबका साथ सबका विकास हिंदू संस्कृति को मजबूत करने की नीचे से नीचे पायदान व्यक्ति को भी सम्मान पूर्वक समाज में उचित स्थान दिलवाने की देश को विश्व में गरिमामय स्थान प्रदान करने की देश में इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने की देश की समस्त जनता के अंदर सकारात्मकता पुरुषार्थ ईमानदारी कार्यकुशलता निपुणता अपनी खुद की जिम्मेदारी एंड कर्तव्य का एहसास होना की प्रवृतियां राष्ट्र में से आतंकवाद बेरोजगारी भ्रष्टाचार मिलावट खोरी मुनाफाखोरी घूसखोरी दिखावटी पन लालफीताशाही काम चोरी की प्रवृत्तियों पर रोक लगाने या कम करने की प्रवृत्ति का में बहुत ही समर्थक लेकिन संसार में देखा गया है कोई भी गरीब परिवार से समाज से पैदा हुआ उच्च आदर्शों को अपने जीवन में व समाज में फैलाने की कोशिश करता है तो समाज की प्रदेश के अधिकांश रसूखदार पूंजीपति ताकतवर बलवान बुद्धिमान दिखावटी ढोंगी धारी पंडित पुजारी मौलवी पादरी अन्य ऐसे व्यक्ति को ऊंचा उठने नहीं देते हैं तथा समाज में लोभ लालच ऊंच-नीच छोटा बड़ा गरीब अमीर अन्य बुराइयों को बनाए रखने की कोशिश करते रहते हैं जिससे उनके वर्चस्व था शानो शौकत दिखावटी पन अधिकार की भावना में कोई कमी नहीं हो सकी यही कारण है की आदर्श बातों को अच्छाइयों को उपदेशों व्याख्यान व्यक्तियों को अधिकांश व्यक्ति अपने जीवन में पालन नहीं करता है एवं आचरण नहीं करता है जब तक संसार का हर प्रत्येक व्यक्ति खुद अपनी जिम्मेदारी एवं कर्तव्यों का सही तरीके से समाज में परिवार में राष्ट्रीय में संसार में पालना नहीं करेगा पूरी सृष्टि कभी भी सुखमय नहीं हो सकती है कहने में तो ईश्वर अल्लाह पैगंबर गुरु ग्रंथ मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे आदर्श पुरुष महान पुरुष को सब अच्छा मानते हैं लेकिन कोई भी अच्छी चीजों को ग्रहण नहीं करता है और तो और कोई कहता है मेरा अल्लाह बड़ा है मेरा भगवान बड़ा है मेरा ग्रुप संत बड़ा है सबको पता है सृष्टि में जो पैदा होता है उसका मृत्यु भी अवश्य है जीवन पानी की बूंद के समान होता है कोई भी व्यक्ति जैसे कर्म करता है उसको उसका परिणाम अवश्य मिलता है जो अच्छे कर्म करता है उसको अच्छा कर्म मिलेगा जो बुरे कर्म करता है उसको बुरा परिणाम मिलता है यह उक्ति सब धर्मो राजनेताओं राजनीतिक दलों बुद्धिमान व्यक्तियों धर्मावलंबियों पर लागू होती है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जिस तन्मयता से देश भक्ति से देश की सेवा करने में एवं देश को ऊंचा उठाने में हम देश की जनता को सबका साथ सबका विकास की भावना के साथ आगे बढ़ाने में जो कोशिश में लगे हुए हैं वह बहुत सराहनीय है सब की विचारधारा एक जैसी नहीं हो सकती लेकिन सच्चाई से कभी भी मुंह नहीं मोड़ना चाहिए सच्चाई सच्चाई रहती है जिस प्रकार से सोने की चमक कभी खत्म नहीं हो सकती है उसी प्रकार से प्रत्येक मनुष्य थे कर्म एवं व्यवहार को ही संसार में पूजा जाता है ।
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