होश मे या बेहोशी मे।
ये देश बेहोश लोगों का देश है, धर्म के नशे में डूबे हुए लोगों का देश, भावनाओं का देश ...ऐसी भावनाएं जो अवसर तलाशती हैं आहत होने के लिए... संघर्ष करने के लिए ...लड़ने के लिए ... !! ये ही लोग ढूंढते है ऐसे दाढ़ीधारियों को, चोटीधारियों को, चन्दनलेपैयों को, टोपी वालों को, चोगाधारियों को जो बिना हींग फिटकरी लगाये रंग चोखा आने की आस लगाते हैं! अभी आसाराम बापू का जो चरित्र, जो अतीत हमारे सामने उनके विडियो, तहकिकातों, उनके पूर्व सहायकों द्वारा सामने लाया गया है उससे तो लगता ही है कि ये एक साधारण कथा वाचक दम्भी, क्रोधी, मानसिक कमजोर, विकृतकामी, नौटंकीबाज़, शोषक व्यक्ति है और ऐसे व्यक्ति के पीछे चलने वाले वे करोड़ो लोग कितने निर्भर हैं, कितने कमजोर हैं, कितने बेचारे हैं कि उनके सह्गुरुभाई की एक कमउम्र बेटी को उनपर इल्जाम लगाना पड़ा कि वह उसकी नग्न देह से जबरदस्ती घंटाभर खेलता रहा जो बापू स्वयं बता रहे हैं कि वह उनकी पोती की आयु की है!
अब उनके पक्षधर आरोप लगाते हैं ‘पेड मीडिया’ पर, चैनल वालों पर कि बापू को बदनाम करने की साज़िश है! ये वे ही चेंनल वाले हैं जिनपर वे हर सुबह प्रवचन देते हुए दीखते थे! माना की चैनल वालो का आय स्त्रोत है – खबरों को दिखाना और खबरों को दबाना! ये वे ही चैनल वाले हैं जिस बाबा की वे पोल खोलते थे उसी के प्रमोशनल विडियो वे बड़ी निर्मलता से दिखलाते हैं! चैनल वालो को चाहिए TRP.... अब आसाराम की न्यूज़ व उनपर विशेष कार्यक्रम शायद ही कोई इस वजह से देखता हो कि उन्हें उस लड़की से सहानभूति है या फिर इन्साफ मिल जाए ...दरअसल हमें अपराध कथाएँ, देह व्यापार की कहानियां, अनैतिक सम्बन्ध, नेताओं की अन्तरंग रंगरलियाँ (और बाबाओं की हो तो कहना ही क्या) देखने में आनंद आता है जैसे क्राइम पेट्रोल और सावधान इंडिया जैसे कार्यक्रम क्यों लोकप्रिय हुए, इन मनोविज्ञानिक इच्छाओं व भावनाओं को चैनल वाले बखूबी समझते भी हैं और भुनाते भी हैं! अब अगर इन चैनलों को अगर करोड़ो देकर ख़रीदा गया है तो तुम्हारे ट्रस्ट के पास भी तो हजारों करोड़ जमा है तुम भी फेंको पैसा, अब वो पैसा क्या ‘बैकुंठ’ लेकर जाओगे?
एक आरोप लगता है इसाई मिशनरी वालों पर कि वे धरमांतरण कर रहे हैं हिन्दू धर्म के विरुद्ध षड्यंत्र रचा जा रहा है ... जिन लोगों का वे धरमांतरण कर रहे हैं ...वे लोग चंद पैसों और रोटी के लिए ऐसा कर रहे हैं तो तुम लोग क्यों नहीं उनको ये सुविधाएं दे देते हो और इस प्रकार के लोगों का तुम लोग करोगे क्या अपने धर्म में, क्या लाभ होगा तुम्हारे सम्परदाय का ऐसे लोगों से या तुम्हे सिर्फ संख्या दिखानी है विश्व को... इसाई मिशनरी वाले तो चंद लोग हैं तुम तो अरबों हो तो क्या उखाड़ लिया तुम लोगों ने ?? और जब तुम अपने बाबाओं के, अपने भगवानों के मंदिर, आश्रम, केंद्र विदेशों में खोलते हो तो कोई बात नहीं, जब विदेशी तुम्हारे यहाँ अनुयायी बनते हैं तो कोई परेशानी नहीं? यह दोहरा मापदंड क्यों?
हैरानी की बात है कि हिन्दू धर्म व संस्कृति के तथाकथित रक्षक ऐसे झूठे, मक्कार, अपराधी, कामी बाबाओं के समर्थन में दीखते हैं, ऐसे होगी तुम्हारे धर्म की सुरक्षा ?
और इनके पीछे भेडचाल से चलने वालों का तो कहना ही क्या? सबसे बड़े जिम्मेदार लोग ऐसे निकृष्ट लोगों को पैदा करने में, उन्हें बड़ा बनाने में, उनका महिमामंडन करने में, उन्हें भगवान का दर्जा देने में....
दुखद स्थिति ये है कि इन लोगों में कवि-लेखक, कलाकार, डॉक्टर, इंजिनियर और बुद्धिजीवी वर्ग भी शामिल है!
अब लोग पक्ष रखते हैं कि आसाराम के तो ३५० आश्रम हैं, कितने गुरुकूल हैं, कितने बाल संस्कार केंद्र हैं, इतना समाज का भला किया है उन्होंने, करोड़ों लोगों को दीक्षा दी है उन्होंने? १८०० करोड़ का टर्न ओवर है बाबा का..! ये पैसा कहाँ से आया? कौन देता हो उन्हें दान और क्यों? हर नगर-शहर-कसबे-गाँव में कुछ धनाड्य व्यापारी परिवार होते हैं जो समाज व समुदाय में अपने नाम के लिए पैसा दान में देते हैं, केंद खुलवाते हैं! क्यों? क्योंकि समाज में प्रतिष्ठा बढती है, उससे फिर व्यापार के हित साधे जाते है! आदमी दान क्यूँ करता है ...मोक्ष प्राप्ति के लालच के लिए, नरक में जाने के भय को लेकर, नाम प्रतिष्ठा की महत्वाकांक्षा के लिए जिसका दोहन ये बाबा लोग अच्छे से करते हैं अन्यथा समाज में इन दीक्षाओं से कुछ होता दीख नहीं रहा? इन बाबाओं को ये अमीर प्रभावशाली परिवार अपने यहाँ आमंत्रित करते हैं और अपने मित्रों, सम्बन्धियों, शहर के बड़े लोगों, प्रसाशनिक अधिकारीयों, नेताओं को बुलाकर अपना शक्ति व चरित्र प्रदर्शन करके अपने हित साधते हैं!
खैर ... रूमी ने कहा है कि मैं मंदिर गया, काबा गया, चर्च गया, गुफाओं में घूमा, पूरी पृथ्वी नाप आया और वापिस आकर थक बैठा और भीतर झाँका तो पाया कि ये तो यहीं था ...!
आप अपनी पूरी ऊर्जा स्वयं को जानने में लगाओ, थोडा ध्यान में उतारो, आत्म-साक्षात्कार की दिशा में जरा बढ़ो! थोड़ी मेहनत करो... सब तुम्हारे भीतर है!
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