मेरा गाव
दुनिया कितनी भी अपग्रेडेड क्यों न जाए हमारा अपने गाँव से लगाव कभी विलुप्त नहीं होगा ।
आज भी अजय देवगन की दिलवाले वाली हेयर स्टाइल में कहीं ना कहीं, कोई ना कोई सपना के सपनों में खोया होगा……
4 जी के इस ज़माने में भी कोई 2जी नेट से यू सी ब्राउज़र से कोई songs.pk से गाने डाउनलोड कर रहा होगा।
आज भी कहीं फंस रही होगी पुरानी CD की कैसेट साईकिल की दो तीलियों के बीच…..
आज भी कहीं कोई आशिक बना रहा होगा अपनी कॉपी के पीछे तीर वाला दिल…
आज भी कोई लड़का खैनी बना रहा होगा गाँव की पुलिया पे बैठ…..
कोई ना कोई जी रहा होगा वो ज़िन्दगी… जो मुक्त है सभी प्रोटोकॉल से…..जहाँ वास्तविकता है बिना किसी शर्त के……
जहाँ दूर दूर तक कोई दिखाबा नहीं होता….
जहां खुल के नाच होता है दम पे दम मारे जा गाने पे……
जहाँ संतुष्टि किसी दिखावे की मोहताज नहीं……क्यूँकि अपने व्यक्तित्व को परिवर्तित ना करना ही अखण्ड सत्य है….. यथार्थ है…..
ये मात्र एक गाँव की छवि नहीं है…..
बल्कि उस शहर की भी है जहां हमारे जैसे कूल डूड रहते हैं…….
जो जीआईपी मॉल के चौथी मंजिल वाले पब में पिटबुल के गाने एन्जॉय करने के बाद…..
घर में आ के फुल बेस में 90s का “तू धरती पे चाहे जहाँ भी रहेगी” वाला गाना सुन कर ही चैन पाते हैं…..
जिन्हें सनी लियॉन सिर्फ पिच्चरों में अच्छी लगती है…..
असल ज़िन्दगी में उन्हें तलाश है किसी दिव्या भारती की…
जो किसी MNC में बैठ कोडिंग करते हुए गोता लगाने चले जाते हैं गाँव के बाहर वाले तालाब में…..
जिनके ज़ेहन में आज भी जिंदा है उनका अतीत…..
हाँ मैं उनमे से एक हूँ…..
देश के किसी बड़े शहर में हूँ
लेकिन अपना छोटा सा गाँव अपनी आँखों और अंदाज में ले के चलता हूँ…..
सोसाइटी के गार्ड से बात करने में मेरी रेपुटेसन में कोई आंच नहीं आती
सड़क की किनारे लगे गन्ने का जूस पीने में मेरी मॉडर्निटी आड़े नहीं आती…
मैं ऐसा ही हूँ….
ऐसा ही रहूँगा…..
दुनिया और अपग्रेड होगी….
मैं भी होऊंगा….
समय बदलेगा….
बुढ़ापा आएगा…. लेकिन फिर भी दिल तो देशी ही रहेगा !!
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