नारी सशक्तिकरण

( अमित 'मीत' )

आज बहुत से लोग नारी सशक्तिकरण की बात करते हैँ, मुझे कोई ये तो बताओ कि नारी अशक्त कब थी । नारी अशक्त नहीँ है, अशक्त हमारा समाज और हमारी कानून व्यवस्था है और इसी का फायदा उठाकर कुछ वहशी लोग बलात्कार करते हैँ । बलात्कार पहले भी होते थे, लेकिन पीड़िता अपनी बदनामी के डर से खून का घूंट पीकर चुप रह जाती थी । लेकिन जब से नारी जागरुक हुयी है और अपने लिए न्याय की गुहार करने लगी है, तब से बलात्कार के बाद कत्ल कर देने के मामले ज्यादा सुनाई दे रहे हैँ । बलात्कार के बाद कत्ल इसलिए, ताकि उनके दुष्कर्म का कोई गवाह ही न मिले । एक छिपा हुआ सच ये भी है कि इन मामलोँ मेँ अधिकांश आरोपी सिर्फ इसलिए छोड़ दिए जाते हैँ, क्योँकि पीड़िता के परिवार वाले इन मामलोँ को मीडिया मेँ नहीँ लाना चाहते और अदालत के चक्कर से बचना चाहते हैँ । पुलिसवाले भी अक्सर यही सलाह देते हैँ कि मामले को आगे मत बढ़ाइए, अन्यथा बदनामी तो होगी ही, साथ ही साथ अदालती कार्यवाही के चक्कर मेँ पूरी जिँदगी खराब हो जाएगी । इसी सोँच की वजह से एक बलात्कारी खुलेआम हमारे बीच घूमता रहता है और हमेँ पता भी नहीँ होता । आजकल लगभग हर इंसान फर्ज और कर्तव्य से ज्यादा पैसे को महत्व देता है । ये पैसे की भूख ही है, जिसकी वजह से हजारोँ छोटे बड़े केस अदालत मेँ वर्षोँ तक लटके रहते हैँ । एक वकील के लिए पीड़ित एक ग्राहक की तरह होता है, या यूँ कह लो कि सोने के अंडे देने वाली मुर्गी । जब तक केस चलेगा, अंडे मिलते रहेँगे । इसीलिए तारीख पर तारीख का सिलसिला जारी रहता है, और पीड़ित की जिँदगी खराब हो जाती है । अदालती कार्यवाही के इस लंबे पचड़े से बचने के लिए पीड़िता या तो चुप रह जाती है, या फिर बलात्कारी द्वारा कत्ल कर दी जाती है । और हमारा ये कानून सबूतोँ और गवाहोँ की गैरमौजूदगी मेँ उस बलात्कारी का कुछ नहीँ बिगाड़ पाता । जाहिर सी बात है, चोर अगर पहली चोरी मेँ सफल हो जाए तो चोरी करना उसका पेशा बन जाता है । ठीक उसी प्रकार एक बलात्कारी अगर दुष्कर्म कर के साफ निकल जाए, तो दुष्कर्म करना उसकी आदत बन जाती है । मेरे कहने का तात्पर्य ये है कि, "बलात्कार सिर्फ नारी का नहीँ होता, बलात्कार पूरी न्याय व्यवस्था का होता है" जरूरत है कानून व्यवस्था को सशक्त बनाने की । कोई भी केस 6 महीने से ज्यादा नहीँ चलना चाहिए, अगर केस बेवजह लंबे समय तक लटकाया जाए तो उस पर उच्च न्यायालय को कार्यवाही करनी चाहिए । जितना हो सके इन मामलोँ को मीडिया से दूर रखकर सुलझाना चाहिए । हर शहर मेँ महिला-थाना की व्यवस्था होनी चाहिए, ताकि पीड़िता बेझिझक अपनी बात कह सके । बलात्कार के मामले मेँ यदि 72 घंटे के अंदर FIR दर्ज करायी गयी हो तो उस मामले मेँ जालसाजी की गुंजाईश कम होती है, और पुलिस भी अपराधी को जल्द से जल्द पकड़ सकती है । अतः पीड़िता को जितना हो सके, जल्द से जल्द FIR लिखवानी चाहिए । हमारा समाज इंसानी दरिँदोँ से भरा पड़ा है, इसलिए कुछ सावधानियाँ नारी को भी रखनी होगी । आमतौर पर सुनसान जगहोँ पर जाने से बचना चाहिए या फिर अपने साथ कोई हथियार रखकर जाना चाहिए । अपना मोबाईल हमेशा साथ रखेँ और उसमेँ पुलिस, एंबुलेँस और हॉस्पिटल का नंबर अवश्य रखेँ । जहाँ भी जाएँ, अपने घरवालोँ या करीबियोँ को बताकर जाएँ और वापस आने का अनुमानित समय भी बता देँ । और सबसे जरुरी बात, अपने अलावा किसी पर भरोसा ना करेँ । नारी अशक्त नहीँ है, बस उसे अपनी शक्ति का अहसास नहीँ है । _अमित 'मीत'

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

समय किसी की प्रतीक्षा नहीं करता है,

परफेक्शन

धर्म के नाम पर