सत्यमेव जयते-2

एक्टर आमिर खान अपने मशहूर टॉक शो सत्यमेव जयते के दूसरे सीजन के साथ आज लौट रहे हैं। वह कहते हैं कि यह सीजन देशप्रेमियों के लिए है। शो में दर्शकों को बांधे रखने के लिए पूरा मसाला है इसलिए आमिर को टीआरपी की कतई चिंता नहीं है। आमिर का यह शो इस बार अलग-अलग हिस्सों में प्रसारित होगा। क्या आमिर का यह एक्सपेरिमेंट शो की लोकप्रियता बढ़ाने के लिए है?
दूसरे सीजन का पहला एपिसोड आज 11 बजे स्टार के अलग-अलग चैनलों पर छह भाषाओं में सीधा प्रसारित होगा। सत्यमेव जयते के पहले हिस्से में पांच एपिसोड दिखाए जाएंगे, जबकि बाकी एपिसोड कुछ अंतराल के बाद प्रसारित होंगे। आमिर से जब पूछा गया कि आमतौर पर रविवार परिवारों के लिए फिल्म देखने का दिन होता है और इस पर उन्होंने कहा कि जिसे अपने देश की फिक्र है वह शो देखेगा। शो का पिछला संस्करण अनगिनत लोगों ने देखा था। यह शो के लिए एकदम सही समय है।
आमिर ने कहा कि मैं कहूंगा कि हमारा शो बहुत मनोरंजक है। इसमें प्रेम कहानी है। यह देश और देशवासियों के बीच की प्रेमकहानी है। शो उस समय प्रसारित हो रहा है जब देश अप्रैल-मई में होने वाले आम चुनाव के लिए कमर कस रहा है। टेलीविजन कार्यक्रमों की सफलता रेटिंग द्वारा मापी जाती है, लेकिन आमिर को रेटिंग सिस्टम में कतई यकीन नहीं है।
उन्होंने कहा कि टीआरपी का कोई मतलब नहीं है। भारत की आबादी करीब 120 करोड़ है और रेटिंग रिकॉर्ड करने के लिए आपके पास महज 7,000 सेट हैं। आप उस आधार पर मुझे बताएंगे कि लोग क्या देख रहे हैं तो आप ही बताइए यह कितना हास्यास्पद है। इसलिए मैंने स्वयं को टीआरपी से दूर रखा है।
मिस्टर परफेक्शनिस्ट ने मई 2012 में सत्यमेव जयते से छोटे पर्दे पर कदम रखा। स्टार प्लस पर प्रसारित शो के पहले सीजन ने कन्या भू्रण हत्या, घरेलू हिंसा और बाल शोषण जैसे संवेदनशील सामाजिक मुद्दों उठाए थे, जिसे दर्शकों से जबर्दस्त सराहना मिली। कुछ एपिसोड ने ने सबसे ज्यादा रेटिंग पाई। आमिर दूसरे सीजन के पहले एपिसोड में बिहार में अकेले एक पहाड़ी काटकर रास्ता बनाने वाले दशरथ मांझी को समर्पित करेंगे।

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आज के इस युग में ऐसा नहीं कि अच्छे लोग नहीं लेकिन यह भी सत्य है कि अच्छाई और अच्छे लोगों को साथी कम ही मिला करते हैं | चलिए आज यह भी जाने की इसका क्या कारण है ? मुझे तो एक ही कारण नज़र आता है कि सत्य कि राह में तकलीफ ,परेशानियां और अकेलापन है और असत्य, भ्रष्टाचार कि राह में आराम , शोहरत ,धन दौलत और साथियों का हुजूम है |यह और बात है की सत्य की राह में इज्ज़त है और असत्य की राह में ज़िल्लत लेकिन आज के युग में इज्ज़त की अहमियत कम होती जा रही है |
मैं हमेशा कहा करता हूँ कि यदि आप सत्य कि राह पे नहीं चल पा रहे हैं तो कम से कम असत्य और बुराई का साथ तो न दो | यदि हर इंसान खुद को बुराई का साथ देने से भी बचा सके तब भी इस समाज में अच्छाई जीवित रह सकती है |आज के इस युग में सबसे बड़ी मुश्किल यह है कि अच्छे और बुरे लोग कुछ इस तरह से एक दुसरे में घुल मिल गए हैं कि क्या अच्छा है क्या बुरा ? कौन अच्छा है कौन बुरा ? इस बात का फैसल करना भी मुश्किल होता जा रहा है |इसी मुश्किल को हल करने के लिए पुराने समय में लोग एक दुसरे को अच्छे लोगों कि कहानियां सुनाया करते थे और सत्य जीवित रहता था | आज का बच्चा जब इन कहानियों को सुनता है तो सोंचता है क्या ऐसा अच्छा बनना संभव है ? उसे लगता है इस युग में यह संभव नहीं है और वो बस उसे कहानियों कि तरह से सुन के भुला देता है |
कहा जाता है कि शैतान सीधे रास्ते पे बैठता है | मतलब यह कि यदि आप चोरी करने ,शराब पीने , भ्रष्ट का साथ देने , रिश्वत लेने , जा रहे हैं तो आप के खिलाफ कोई किसी का कान नहीं भरेगा , कोई आप को धमकी नहीं देगा, लेकिन यदि आप भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज़ उठाने जा रहे हैं, सत्य के बारे में लोगों को बता रहे हैं तो आप को धमकी भी मिल सकती है, आप को लोगों का साथ भी कम ही मिलेगा और आप के खिलाफ लोगों का कान भी भरा जाएगा क्यों कि असत्य के पुजारी का काम तो किसी भी तरह से सत्य कि राह पे चलने वालों का अंत करना है |
जैसे पुराने समय में नेक और इमानदार लोगों की कहानिया, गाथाएं सुनी और सुनाई जाती थी वैसे ही आज अफवाहों ,गुमराही और झूट का दौर है| आज इतिहास को तोड़ मरोड़ के लोग अपने हित में इसका इस्तेमाल कर रहे हैं कभी ऐतिहासिक गाथाओं का इस्तेमाल जन हित में किया जाता था | पुराने समय में ऐसे ही धार्मिक कथाएँ सुनी और सुनाई जाती थी जिस से बच्चो में सदाचार आये और दुराचारी बन्ने से बचें वैसे ही आज धर्म के नाम पे इंसानों के दिलो में एक दुसरे के लिए नफरत के बीज बोये जा रहे हैं | इन्तहा तो यह है की धर्म कोई भी हो बेगुनाह की जान लेना पाप समझता है आज उसी धर्म के सहारे आतंकवाद और कट्टरवाद फैलाया जा रहा है और अज्ञानी इंसान को उसके जैसे ही दुसरे इंसान का दुश्मन बनाया जा रहा है | इन अफवाहों और गुमराही का शिकार आपका नौजवान न हो जाए इसके लिए उसे सच्चा धर्म का और इतिहास का ज्ञान देना आज बहुत ही आवश्यक होता जा रहा है वरना इस गुमराही के शिकार यह जज्बाती नौजवान सबसे जल्द हुआ करते हैं |
अधिकतर यह कान भरने वाले ,गुमराह करने वाले सफ़ेद पोश हुआ करते हैं और समाज में झूट और फरेब के सहारे खुद की एक अच्छी छवि बना के रखते हैं | लोग इनके गुमराह करने में आ जाते हैं और सत्य कि राह पे चलने वाले को ही ग़लत समझने लगते हैं | यह इस बात को नहीं जानते की सत्य कमज़ोर अवश्य पड़ जाया करता है लेकिन सत्य की उम्र अधिक हुआ करती हैं और झूट की उम्र कम होती है |सत्य की राह पे चलने वालों को यह पहले से समझ लेना चाहिए कि क़ुरबानी देनी होगी, और अकेले ही यह लड़ाई लड़नी होगी |आज का भ्रष्ट जब हज़ारों इंसानों का हक मार के करोणों कमाता है तो मंदिर ,रौज़े पे जा के करोणों दान कर के दानवीर भी बन जाता है | क्यों यह असत्य और जुल्म का पुजारी सत्य कि राह पे चलने वालों के चरणों में दान देता है? केवल इसी कारण से कि उसके दान देने से समाज के लोग उसे दानी समझेंगे | भ्रष्ट की यह सोंच खुद यह बता रही है कि इज्ज़त भी सत्य की राह में है, ताकत भी सत्य की राह पे चलने में है और नाम भी सत्य की राह पे चलने में है | बस आवश्यकता है सत्य को पहचानने की , सत्य और असत्य का अंतर समझने की | सत्य की राह पे चलने वालों का साथ दे के ही असत्य से लड़ा जा सकता है | जिस दिन ऐसा हों गया उसी दिन दुष्टता और धूर्त की हार हों जाएगी |
याद रहे सत्य कि राह पे चलने वाले हमेशा याद किये जाते हैं और लोगों के दिलों में मुहब्बत की शक्ल में जीवित रहते हैं और असत्य की राह पे चलने वाले की म्रत्यु उसके इस संसार से जाने के तुरंत बाद हों जाया करती है |यदि आप हमेशा जीवित रहना चाहते हैं तो समाज में अमन ,शांति, भाईचारे के साथ रहे और सत्य पे चलने वालों का साथ दें, असत्य के खिलाफ आवाज़ उठाएं और यदि आवाज़ न भी उठा पाएं तो चुप रहे, ज़ुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाएं और अपने संस्कार को न भुलाएं |

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