फांसी की सजा
अजमल कसाब के बाद लगभग उसी अंदाज में संसद पर हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को फांसी पर लटका कर सरकार ने आतंकवाद के खिलाफ सख्त होने की कोशिश की है या विपक्ष के हाथ से कोई राजनीतिक मुद्दा छीनने का प्रयास, यह निर्णय करना आसान नहीं है। सचमुच सरकार और नए गृहमंत्री ने आतंक के दो सबसे बडे़ प्रतीकों को खत्म किया है और इससे सख्त संदेश तो जाएगा ही। अफजल की फांसी पर जिस तरह की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं उनसे साफ लगता है कि उसे भरोसा नहीं था कि फांसी होगी। उसे शायद यह लग रहा था कि सेक्युलर-कम्युनल राजनीति की बहस में वह बचा रहेगा।
अफजल की फांसी की बात है... तो उसका श्रेय तो 2014 के चुनाव को है... क्योंकि कांग्रेस हर जगह फेल है और जी भरकर भ्रष्टाचार मे भी लगी है..उसे अब डर लग रहा है कि इस बार के चुनाव मे शायद वो नही आ पायेगी... अतः अंतिम अस्त्र के तौर पर इन्होने ये दो फाँसियाँ दी हैं... वर्ना पहले इनके बहाने थे की इनकी दया याचिकाओं से पहले की दया याचिकाएं लम्बित हैं...पहले उनपर निर्णय होंगे... इनके नंबर बाद मे हैं... अब सब नंबर बदल गये..., कसाब विदेशी था इस लिये अफजल से पहले उसे लटकाया..की प्रोब्लम नही होगी... उसके बाद राहुल को 2 न. की कुर्सी और उसपर लोगों का ध्यान हटाने के लिये विवादवाला हिन्दू आतंकवाद का बयान... जब दाल गाली नही गाली तो अंत मे अफजल की फांसी की गोट चली... अरे लाशों पे राजनीति करनेवाले कितने निकृष्ट लोग हैं ये..
ये हमारे और आपके इसी मुल्क मे ही संभव है 12 साल जिंदा रखा और बेगुनाही साबित करने का मौका दिया.(दुनिया के तमाम देश आतंकियों को पकड़ते ही मौत की सजा दे देते हैं)..वकील भी दिये.ये हिन्दुस्तान मे ही संभव है की एक आतंकी को भी पूरी कानूनी प्रक्रिया से गुजरा गया और उसे अपना पक्ष रखने के लिये सरकार ने वकील भी दिया.सजा के बाद भी कानूनी प्रक्रिया के मुताबिक अपील के सभी मौके उसे मिले.राष्ट्रपति तक उसकी बात पहुचाई गयी.राजनीतिक धार्मिक और सामाजिक स्तर पर अफजल को फांसी का विरोध भी था.हमने उन्हे डपटने के बजाये अपनी बात रखने का मौका भी दिया..एक तरफ अफजल को मौके मिले और दूसरी तरफ जनता ने भी लगातार उसकी फांसी की बात उठायी.अफजल का अंत लोकतंत्र के दायरे मे हुआ..अगर पाकिस्तान मे होता..तो सालों से जेल मे बंद रहता पर कोई खबर नही/मुकदमा नही.वहां कई तो मर गये...खबर नहीं हुई..और उसके बाद भी हम उन लोगों को बोलने का मौका भी दे रहे हैं जो उसके पक्ष मे बोल रहे हैं..ऐसी महान जम्हूरियत की खिलाफत करने वाले शैतान ही होंगे..
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