दृष्टिकोण



दृष्टिकोण आपके समूचे जीवन को निर्धारित करता है। आप आगे क्या बनेंगे, यह इस पर निर्भर करता है कि आज आप क्या सोचते हैं। मनोविज्ञान कहता है कि हमारा मस्तिष्क हमारे शरीर को नियंत्रित करता है। इसलिए अपने मस्तिष्क को स्वस्थ रखना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। अगर आप खुश नहीं हैं, जिंदगी से ढेरों शिकायतें हैं और लगता है आपके सपने पूरे नहीं हो पाए तो सप्ताह के हर दिन एक नया लक्ष्य बनाएं और उसे शाम तक पूरा करने की कोशिश करें। आप अपने भीतर बदलाव महसूस करेंगे और अपनी जिंदगी को नई दिशा प्रदान कर सकेंगे।

1. कार्य करें पूरे उत्साह से
पहला दिन : रविवार की छुट्टी के बाद एक ताजा दिन की शुरुआत जल्दी उठकर करें। मॉर्निग वॉक, स्ट्रेचिंग करें, या लॉन में टहलकर सुबह की ऑक्सीजन को सांसों में भरें। सोचें- आज दफ्तर की ढेरों जिम्मेदारियां पूरी करनी हैं, मैं महत्वपूर्ण हूं। मेरा कार्य ही साबित करेगा कि मैं कैसा दिन बिता रहा हूं/रही हूं। दफ्तर पहुंचते ही समस्या शुरू- कंप्यूटर में तकनीकी खराबी के कारण कार्य में देरी। सिस्टम ठीक होने तक कुछ ऐसे कार्य कर लें, जिन्हें काम के दबाव के चलते नहीं कर पाते। कार्यो की सूची तैयार करें, जरूरी फोन करें, कार्य संबंधी सामग्री पढें। हो सकता है आप आधे या एक घंटे देरी से काम शुरू कर पाएं, लेकिन दबाव महसूस करने से बचें। धैर्य से कार्य शुरू करें, इस विचार के साथ कि आप समय प्रबंधन कर सकते हैं, देरी के बावजूद तयशुदा कार्यो को निर्धारित समय पर पूरा कर लेंगे। खाली समय में कार्यो का मूल्यांकन करें, कार्य संबंधी नई जानकारियां हासिल करें, हर दिन कुछ नया सीखना-करना आगे बढने का हौसला देता है।
शाम को घर लौटकर कुछ देर अच्छी सी पुस्तक पढें, म्यूजिक सुनें, माता-पिता, बच्चों से बातें करें। डायरी में ऐसे कुछ कार्यो के बारे में अवश्य लिखें, जो आज आपने किए। सोने से पहले ईश्वर को धन्यवाद देना भूलें कि आप दिन भर के लिए तय किए गए कार्य कर सके।
2. खुद के बारे में रहें आशावादी
दूसरा दिन : बीते दिन की सफलताओं को याद रखें, विफलताओं को भूल जाएं। एक नई सोच के साथ दिन की शुरुआत करें : मैं आत्मविश्वासी हूं, समर्थ हूं। गलतियों से सबक लेना और खुद पर हंसना सीखें। जो खुद पर नहीं हंस सकते, वे सिर्फज्यादा नकारात्मक होते हैं, बल्कि उन्हें स्ट्रोक, कैंसर, दिल संबंधी रोगों की आशंका भी बढ जाती है। सोचें कि जीवन प्रयोगशाला है, जिसमें कभी अच्छे तो कभी बुरे प्रयोग होते हैं।
समीर ने बी.टेक किया है, लेकिन उसे नौकरी नहीं मिल पा रही है, कारण है-आत्मविश्वास की कमी। इंटरव्यू से पहले ही वह सोच लेता है कि नौकरी नहीं मिलेगी, लिहाजा टालू रवैये के साथ देरी से साक्षात्कार वाली जगह पहुंचता है। इतने दबाव में होता है कि कई बार सही जवाब मालूम होने के बावजूद नहीं दे पाता। ये तमाम चीजें सामने वाले पर नकारात्मक असर डालती हैं और उसका चयन नहीं होता। जबकि समीर का दोस्त इंटरव्यू के लिए पहले दिन से ही तैयारी करता है। जल्दी सोता है, अलार्म लगाकर जल्दी उठता है। ब्रेकफास्ट करता है, खुद को प्रेजेंटेबल बनाकर आत्मविश्वास के साथ इंटरव्यू देता है, उसे यकीन है नौकरी मिलेगी। कोई अचंभा नहीं कि इसी सोच के कारण उसे नौकरी मिलती भी है। मंगलवार का एक दिन खुद पर भरोसा रखने का है, इसे जगाने की हरसंभव कोशिश करें।
3. दूसरों के बारे में बदलें अपनी राय
तीसरा दिन : मन से मिटाएं बैर भाव। पूर्वाग्रह को मन-मस्तिष्क में आने दें। मित्रों, संबंधियों, सहकर्मियों के गुणों के बारे में सोचें। हो सकता है किसी की मुस्कुराहट आपको भाती हो तो किसी की कार्यशैली। सभी में कोई गुण अवश्य होता है, उन्हें सराहें। इस अभ्यास का फायदा तब होता है, जब किसी मुश्किल व्यक्ति से सामना होता है, ऐसे लोगों के सामने आपके धैर्य की परीक्षा होती है, आप विपरीत स्थितियों से निपटना सीखते हैं। दूसरों के बारे में अपनी राय और अपने बारे में दूसरों की राय बदलने का एक उदाहरण है।
सुप्रसिद्ध लेखिका कमला दास के पास एक टीन एजर लडकी आई, जो जीवन से निराश थी, आत्महत्या करना चाहती थी। उसे लगता था कि उसकी छवि बुरी लडकी की है। कमला ने उससे कहा-तुम जिन पांच बातों से सर्वाधिक घृणा करती हो, बताओ। लडकी ने कहा-मुझे अपनी आंटी से नफरत है, वह मुझे पसंद नहीं करतीं। कमला ने कहा-तुम वे पांच बातें बताओ जिनसे तुम्हें खुशी मिलती है। लडकी ने कहा-मुझे सिंदूरी आम बेहद पसंद हैं। कमला ने फिर कहा-आत्महत्या करने से पहले सिर्फमेरी एक बात मान लो-कल सुबह आम लेकर आंटी के घर जाओ। लडकी चिल्लाते हुए बोली-मैं उनसे घृणा करती हूं, क्यों जाऊं वहां? कमला ने किसी तरह उसे इस बात पर राजी किया।
एक हफ्ते बाद लेखिका को वह लडकी साइकिल चलाते हुए दिखी तो चौंकते हुए पूछा-तुम! लडकी ने झेंपकर जवाब दिया-वाकई कमाल की तरकीब बताई आपने। आंटी से मिलने के बाद ही पता चला कि वह कितनी अच्छी हैं। हमने दो-तीन घंटे साथ बिताए और आम उन्हें बहुत पसंद हैं। उन्हें भी आश्चर्य हुआ कि वह मुझे क्यों पसंद नहीं करती थीं।
यह सिर्फ उदाहरण है-लेकिन क्या इसे व्यवहार में उतारना मुश्किल है?
4. बुरी स्थितियों से उबरें
चौथा दिन : क्या आप बुरी स्थिति के बारे में सोचते रहते हैं? खराब संबंधों, आर्थिक समस्याओं के कारण तनाव घेरे तो यह अभ्यास करें, आंखें बंद करके नन्हे बच्चों का चेहरा याद करें, पति / पत्‍‌नी या गहरे मित्र के साथ बिताए पल याद करें। लंबी सांसें लें, हलके हाथ से चेहरे की मालिश करें, ताकि तनाव की लकीरें कम हो जाएं। हर स्थिति से उबरा जा सकता है, इस बात को बार-बार दोहराएं। पांच-दस मिनट के अभ्यास के बाद महसूस करेंगे कि कई नकारात्मक खयाल जेहन से निकल चुके हैं। दुर्घटना में पिता को खोने के बाद प्रभा अवसाद से घिर चुकी थी। सबसे छोटी होने के कारण वह पिता की लाडली थी। हॉस्टल में थी, किसी से शेयर नहीं कर पाती थी, उसे चारों ओर अंधेरा नजर रहा था। ऐसे में उसने पिता की चिट्ठियां पढीं, बचपन की तसवीरें देखीं और बुदबुदाई- आपकी उम्मीदों को मैं पूरा करूंगी.. इस एक अभ्यास ने कुछ ही मिनटों में उसे एक लडकी से जिम्मेदार व्यक्ति में बदल दिया।
5. कुछ शब्दों को निकालें मन से
पांचवां दिन : काश! ऐसा होता..ऐसा होता..यदि मेरे पति अच्छे होते..मेरी नौकरी बेहतर होती..यदि बच्चे मेरी सुनते.., ऐसे कई विचार सभी के मन में उठते हैं। संतुष्टि या खुशी सिर्फ भावना नहीं, सफल जीवन का रास्ता भी है। आज का दिन खुशियों के नाम करें, आज में जिएं। खुशी मन-मस्तिष्क की स्थिति है। हम दिल्ली में हैं, मुंबई जाना चाहते हैं तो सही ट्रेन या प्लेन की जानकारी हासिल करनी होगी। यही बात विचारों की ट्रेन के बारे में भी कही जा सकती है, सही ट्रेन नहीं चुन सकते तो मुंबई यानी अपनी मंजिल तक पहुंचने का ख्वाब छोड देना चाहिए। सही ट्रेन का टिकट है-कृतज्ञता। यह कृतज्ञता का भाव ही खुशी का रास्ता है। नकारात्मक शब्दों को जीवन के शब्दकोश से मिटा दें और कृतज्ञता, हां, धन्यवाद जैसे शब्दों को जगह दें। जीवन ईश्वर का अनमोल तोहफा है, उस अनाम शक्ति के प्रति कृतज्ञ हों, माता-पिता, परिवार और समाज के प्रति आभार जताएं, जिनके कारण आज आपका वजूद है।
6. माहौल को बनाएं खुशगवार
छठा दिन : माहौल तभी अच्छा हो सकता है, जब स्वास्थ्य अच्छा हो, परिवार-समाज में सब सही हो। शनिवार का दिन व्यायाम या योग से शुरू करें। यदि हफ्ते के पांच दिन आप कार्य करते हैं तो इस छुट्टी को स्वास्थ्य, रुचियों, खानपान और फिटनेस के लिए रखें। आसपास के लोगों से घुलें-मिलें, मित्रों-संबंधियों या माता-पिता से मिलें, संगीत सुनें, पेंटिंग करें, अच्छी पुस्तकें पढें, सामाजिक कार्य करें। अपने भाग्य निर्माता खुद हैं। भाग्य अच्छा होता है, जब कार्य को ढंग से पूरा करें। कार्य तभी ढंग से होगा, जब उसमें आनंद लें। चुनौतियों को स्वीकारते हुए आनंद के साथ अपने कार्य को करें। नेपोलियन बोनापार्ट का कहना था कि असंभव कुछ नहीं होता। कई बार छोटे या व्यर्थ लगने वाले कार्य भी बडे होते हैं। वैज्ञानिक आविष्कार नहीं कर पाते, यदि उन्हें कुछ असंभव या व्यर्थ लगता। शनिवार का दिन छोटी-छोटी खुशियों में बिताएं, माहौल भी अच्छा हो जाएगा।
7.घर-परिवार से पाएं उत्साह
सातवां दिन : सरदार भगत सिंह का कहना था कि जिंदगी का मकसद और कुछ नहीं जिंदगी ही हुआ करता है। हम जो कुछ कर रहे हैं, वह इसलिए कि हम और हमारी भावी पीढियां बेहतर जिंदगी बिता सकें। समस्त कार्यो का अंतिम उद्देश्य आत्मसंतुष्टि है, वह तभी मिलती है, जब हम परिवार और आसपास के लोगों को सुखी देखते हैं। रविवार को सारे काम भूलकर परिवार के हो जाएं। यही वह जगह है-जहां आपकी सारी थकान, अवसाद और तनाव खत्म होता है। सुबह लंबे वॉक पर जाएं, साथ बैठकर ब्रेकफस्ट और लंच करें, मूवी देखें, बच्चों के साथ खेलें, उन्हें कहानियां सुनाएं, पार्क ले जाएं। मोबाइल-लैपटॉप छोडें और वह सब करें-जो सुकून दे। बच्चों जैसे काम करें, खूब हंसें, शॉपिंग करें, घूमें, खेलें।
बेहतर जिंदगी का एकसूत्रीय फार्मूला हैखुश रहें। यह एक पारिवारिक दिन अगले हफ्ते आपको उत्साहित रखेगा, यह मेंरा दावा है।

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