द कश्मीर फ़ाइल
कश्मीर फाइल्स समीक्षा फ़िल्म देखकर मजबूत से मजबूत व्यक्ति की आँखों में आंसू आयेंगे। इमोशनल होगा, डर लगेगा, गुस्सा आयेगा और तरस भी आयेगा। यानि जिस उद्देश्य के लिए फिल्में बनती है इसमें वह सभी चीजें भरपूर से अधिक हैं। फ़िल्म के लिहाज़ से इसमें कोई बुराई नहीं है। बुराई और अच्छाई क्या वह नीचे के पैराग्राफ्स में समझें मगर फ़िल्म देखते हुये आप विचलित भी होंगे यह इसका मुख्य विषय है। अब आते हैं उस ऐतिहासिक घटना पर जिसपर बेस्ड यह फ़िल्म है यानि कश्मीर तो यदि कोई सच्चा इतिहासकार, निष्पक्ष पत्रकार, जागरूक, शैक्षिक ईमानदार नागरिक हो वह आधे से भी अधिक तथ्यों और बातों से असहमत होगा यदि उसने खुद से जाना, पढ़ा हो तभी। यदि सच जानने का आपका कोई अन्य स्रोत नहीं तब फ़िल्म के हिसाब से आप कुछ भी गलत नहीं कह सकते हैं। फ़िल्म में सही क्या है. फ़िल्म में क्रूरता वास्तविक है, फ़िल्म में डर का माहौल वास्तविक है, फ़िल्म में खौफनाक वारदातें वास्तविक है, साम्प्रदायिक दृष्टिकोण वास्तविक है, मीडिया, पुलिस और प्रशासन की लाचारी वास्तविक है, षडयंत्रकारी नीतियां वास्तविक है, शासन की अनदेखी वास्तविक है, पलायन, अपनों को खो...