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जून, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

क्या बनेंगे आप.....

एक रेड लाईट एरिया मे क्या खूब बात लिखी पाई गई.."यहाँ सिर्फ जिस्म बिकता है,ईमान खरीदना हो तो अगले चौक पर 'पुलिसस्टेशन' हैं |"..आप चाहते हैं,कि आपकी तानाशाही चले और कोई आपकाविरोध न करे..तो आप भारत में न्यायाधीश बन जाइये,..आप चाहते हैं,कि आप लोगों को बेवजह पीटें लेकिन कोई आपकोकुछ न बोले..तो आप पुलिस वाला बन जाइये,..आप चाहते हैं,कि आप एक से बढ़कर एक झूठ बोलें अदालत में,लेकिन कोई आपको सजा न दे,तो आप वकील बन जाइये,..आप चाहते हैं,कि आप खूब लूट मार करें,लेकिन कोई आपको डाकू न बोले,तो आप भारत में राजनेता बन जाइये,..आप चाहते हैं,कि आप दुनिया के हर सुख मांस, मदिरा, स्त्रीइत्यादि का आनंद लें,लेकिन कोई आपको भोगी न कहे,तो किसी भी धर्म के धर्मगुरु बन जाओ...आप चाहते हैं,कि आप किसी को भी बदनाम कर दें,लेकिन आप पर कोई मुकदमा न हो,तो मीडिया में रिपोर्टर बन जाइये,....यकीन मानिये..कोई आप का बाल भी बाँका नहीं कर पाएगा.भारत में,हर 'गंदे' काम के लिए एक वैधानिक पद उपलब्ध है,इसीलिए मेरा भारत महान है।,

कुत्तो की सेवा

मेरे दिल और ज़हन में काफी वक़्त से एक सवाल ने अपना घर कियाहुआ है अजीब सी उलझन में हूँ बहुत कोशिश की जवाब ढूंढने की नहींमिला तो सोचा भी छोड़ ना क्या करना है फिर भी पीछा नहीं छोड़ता ।मैंने देखा है अपने ही क़स्बे में लोगो ने अपने घरों में कुते पाले हुए हैआखिर इन कुतों से फायदा क्या है । या तो यूँ कहूँ की कुते उनकेलिए माँ बाप से बन गए या यूँ कहूँ की वो तमाम लोग कुतों की नस्लोमें आ गए मेरी बात को ना तो अन्यथा लेना और ना ही दिल सेलगाना बस सोचना जरूर एक बार ।20 20 हज़ारों में कुते लेके आते है 1000 से 2000 रूपये उन कुतोंपर रोज़ का खर्चा करते है कोई मॉस खाता है या कुछ मैंने एक दोस्तकी दूकान से dog foods भी देखे उनकी कीमतें देखी 200 रूपय500 रूपये नहलाने के लिए शेम्पु साबुन वगेरा वगेरा ।मुझसे मत कहना अपने मन में अपने दिल में मेरी बातों का बस चिंतनकरना । क्या आपने इतनी सेवा अपने माँ बाप की की है ।अगर बुजुर्ग है बीमार है चलने फिरने में असमर्थ हैक्या उनको सहारा देकर toilet तक ले गए होक्या कभी उनको अपने हाथो से नहलाया हैक्या उनके लिए कभी बाजार से खाने पिने के लिए कोई सामान लेकेआये होक्या कभी प्यार स...

फास्ट फूड

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आज हम फास्ट फूड को तमाम बीमारियों की जड़ बताते हैं। हम अक्सर कहते हैं कि फास्ट फूड तो पश्चिमकी देन हैं। फास्ट फूड का जिक्र करना हो तो हम बर्गर, पिज्जा, चाऊमीन वगैरह के नाम गिना देते हैं। पर हमने कभी सोचा है कि हमारे यहां की चाट, मठरी, खस्ता, भेलपूरी वगैरह भी फास्ट फूड हैं, जिन्हें हमारे पूर्वज भी खाते रहे हैं। तो फिर गलती कहां है, बेरोकटोक खाने की हमारी आदत में याफिर फास्ट फूड ही बीमारियों के लिए जिम्मेदार हैं :आज दुनिया भर में फास्ट फूड को कोसा जा रहा है। मोटापा, बीपी, डायाबिटीज जैसी खतरनाक बीमारियों की जड़ फास्ट फूड को बताया जा रहा है। इसमें कोई शक नहीं है कि जिस तरह से आज आधुनिक समय में फास्ट फूड या तुरंत तैयार होने वाला या झटपट खाना बनाने में तमाम ऐसी चीजें डाली जाती हैं जो हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाती हैं। पर हमारे यहां की चाट, मठरी, कचौड़ी, समोसे भी अगर रोज खाए जाएं तो स्वास्थ्य खतरे में पड़ जाएगा। तो फिर दिक्कत कहां है?असल में हमारे समाज में पहले ऐसी तली-भुनी लेकिन स्वादिष्ट चीजें तीज-त्यौहारों पर ही बना करती थीं। लेकिन अब हालात बदल चुके हैं। अब ऐसे फूड जॉइंट, टेक अवे, रेस्तरा...

खुबसूरत क्या है

हर किसी को अपनी खूबसूरती पर घमण्ड होता है |मै आज आपको खूबसूरती की परिभाषा बताता हूँ..  ....... खूबसूरत है वो लब...... जिन पर, दूसरों के लिए कोई दुआ आ जाए !!खूबसूरत है ............वो दिल जो , किसी के दुख मे शामिल हो जाए !!खूबसूरत है.......... वो जज़बात जो, दूसरो की भावनाओं को समझ जाए !!खूबसूरत है........ वो एहसास जिसमें, प्यार की मिठास हो !!खूबसूरत है.............वो बातें जिनमें, शामिल हों दोस्ती और प्यार के किस्से कहानियाँ !!खूबसूरत है.......... वो आँखे जिनमें, किसी के खूबसूरत ख्वाब समा जाए !!खूबसूरत है .........वो हाथ, जो किसी के, मुश्किल वक्त में, सहारा बन जाए !!खूबसूरत है..........वो सोच जिसमें, किसी कि सारी...... ख़ुशी छुप जाए !खूबसूरत है.................. वो दामन, जो दुनिया से किसी के गमो को छुपा जाए !खूबसूरत है.......वो आसूँ जो, किसी और के गम मे बह जाए..

सुख

ऐ "सुख" तू कहाँ मिलता है क्या. तेरा कोई. स्थायी. पता. है✏क्यों बन बैठा है. अन्जाना आखिर. क्या है तेरा ठिकाना।✏कहाँ कहाँ. ढूंढा. तुझको पर. तू न. कहीं मिला मुझको✏ढूंढा. ऊँचे मकानों. में बड़ी बड़ी दुकानों. में स्वादिस्ट पकवानों. में चोटी. के. धनवानों. में✏वो भी तुझको. ढूंढ. रहे थे बल्कि मुझको. ही पूछ. रहे. थे✏क्या आपको कुछ पता है ये सुख आखिर कहाँ रहता है?✏मेरे. पास. तो. "दुःख" का पता था जो सुबह शाम. अक्सर. मिलता था✏परेशान होके रपट लिखवाई. पर ये कोशिश भी काम न आई✏उम्र अब ढलान. पे. है हौसले थकान. पे. है✏हाँ उसकी. तस्वीर है मेरे. पास अब. भी. बची हुई. है आस✏मैं. भी. हार नही मानूंगा सुख. के. रहस्य को. जानूंगा✏बचपन. में मिला करता था मेरे साथ रहा करता. था✏पर. जबसे. मैं बड़ा हो. गया मेरा. सुख मुझसे जुदा. हो गया।✏मैं फिर भी. नही हुआ हताश जारी रखी उसकी तलाश✏एक. दिन. जब आवाज. ये आई क्या. मुझको. ढूंढ. रहा है भाई✏मैं. तेरे. अन्दर छुपा. हुआ. हूँ तेरे. ही. घर. में. बसा. हुआ. हूँ✏मेरा. नही. है कुछ. भी "मोल" सिक्कों. में. मुझको. न. तोल✏मैं. बच्चों. की. मुस्कानों. में हूँ हार...