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जनवरी, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कितनॆ चॆहरे ..... हमारे

एक मानव के कई चेहरे होते हैं, एक उसका शारीरिक चेहरा, उसका अध्यात्मिक चेहरा, उसका सामाजिक चेहरा, उसका आर्थिक चेहरा, उसका नैतिक चेहरा, उसका मानवीय चेहरा आदि | सिर्फ शारीरिक चेहरे को दर्पण मे देख लेना, उसको संवारलेना ही सबकुछ नही ! भारत 1800 साल पहले सोने की चिड़िया और विश्व गुरु कहा जाता था | फिर 1800 साल तक हम ग़ुलाम रहे और सोने की चिड़िया से गरीब और अशिक्षित बन कर आज़ाद हुए | भारत की ग़ुलामी की शुरुवात की कहानी बचपन से सुनते आ रहे हैं जैसे भारत कभी ग़ुलाम ना होता अगर संतरी घूस ना लेता ! सोने की चिड़िया कहे जाने वाला देश का संतरी पैसो का भूखा था ? या राजा की संतरी इज़्ज़त नही करता था क्यूंकि राजा प्रजा के साथ जानवरों सा सलूक करता था या राजा भ्रष्ट था जिसकी वजह से प्रजा भी भ्रष्ट थी | भारतीयों को 1800 साल पहली आत्ममुग्धता से बहार निकलने की जरूरत है, अगर भारत सच मे 1800 साल पहले इतना महान था उसके नागरिक इतने सुशिक्षित, सुसंस्कारी, ईमानदार देशभक्त थे तो देश ग़ुलाम ही ना होता, अगर होता भी तो 1800 सालों तक ग़ुलाम ना रहता |जैसे तैसे भारत को आज़ादी मिली वो एक बड़ा मुद्दा है उसके बारे ...

महारोगो कॆ अचुक नुस्खे

वर्तमान की जीवन में ख़ान पान की शैली से अनेक रोग तो अब सामान्य होते जा रहे हैं जो पहले सुनने में कम आते थे जैसे कैंसर, ह्रदय रोग, मधुमेह, गुर्दों..... इत्यादि के रोग कुछ इन में से ऐसे हैं जिनका उपचार उन रोगो को स्थायी करके मौत की ओर ले जाता है और साथ में ही अत्यंत मंहगे होने के कारण परिवार के अन्य सदस्य को किश्तों में मौत दे जाता है.यदि इन रोगों की जानकारी मिलने पर मित्रों से मिली राय पर अमल किया जाए तो हर्ज ही क्या है एक तो वे निशुल्क है दूसरा कोई इनका दुष्प्रभाव भी नही है कैंसर - देशी गाय जिसके उपर हम्प हो उसके मूत्र को लेकर सूती कपड़े सात पर्त लगाकर छान ले और इसमे आधा चम्मच हल्दी मिलाकर उबाल ले इसके बाद ठंडा होने पर चाय की तरह सुबह पिये. खाने में सलाद का अत्याधिक प्रयोग करे.कभी कभी शरीर में विशेषकर महिलायों गाँठ या रसौली हो जाती है यदि पान या पोताई मे लगने वाले चूने को प्रतिदिन कनक के बराबर दूध या दही या पानी के साथ प्रतिदिन लेने पर यह समाप्त हो जाती है पथरी वाले ये ना करे ह्रदय रोग -सामान्यत धमनी में वसा जमा होने पर ब्लॉकेज प्रारंभ हो जाता है तब इसको दूर करने के लिए सामान्य 10...

26 जनवरी ......

अभी कुछ दिनों बाद 26 जनवरी आ रही हे 26 जनवरी को देश का संविधान लागु हुआ था ये आप सभी जानते ही हो पर इस संविधान से हमें क्या मिला ये जानते हो26 जनवरी को अंग्रेजो का कानून को अम्बेटकर ने कॉपी किया और देश में कानून बना1- 65 साल से राम मंदिर का केस चल रहा हे देश में 80% हिन्दू होने के बाद भी राम मंदिरनहीं बना क्या यही संविधान के लिए हम 26 जनवरी मानते हे2-साध्वी प्रज्ञा पर कोई अपराध साबित नहीं फिर 6 साल से जेल में क्या यही संविधान के लिए हम 26 जनवरी मानते हे3- कबास और अफजल गुरु जेसे आतंकवादियो को 5 साल करोडो की बिरियानी खिलाने के बाद फंसी दी जाती हे करोडो तो जनता के ही गए क्या यही संविधान के लिए हम 26 जनवरी मानते हे4- बोडर् पर देश की रक्षा करने वाले सेनिको को जितनी एक साल में छुट्टी मिलती हे उससे ज्यादा देशद्रोही संजय को जेल से छुट्टी मिलती हे क्या यही संविधान के लिए हम 26 जनवरी मानते हे5- शांतिदूत 4 बीबी रख सकता हे पर हिन्दू 4 बच्चे की बात कर तो गुनाह क्या यही संविधान के लिए हम 26 जनवरी मानते हे6- हम दो हमारे दो का कानून हमारे लिए दुसरो के लिए क्रिकेट की टीम पैदा करने की छूठ क्या यहीसंविध...

समझदारी का शिक्षण

आज मनुष्य एक ऐसा जानवर हो गया है, जिसको समझदारी सिखाई जानी चाहिए। इसके लिए दूसरी चीजें, जिनको हम शारीरिक आवश्यकताएँ कहते हैं और जिनको हम आर्थिक आवश्यकताएँ कहते हैं, अगर पहाड़ के बराबर भी जुटा करके रख दी जाएँ तो आदमी का रत्ती भर भी भला नहीं हो सकता। हम देखते हैं कि गरीब आदमी दुखी हैं, अमीर आदमी उससे भी ज्यादा हजार गुनी परेशानी में, उलझनों में, क्लेशों में पड़े हुए हैं; क्योंकि उनके पास विचार करने की कोई शैली नहीं है। अगर उनके पास कोई विचार रहा होता तो इतना अपार धन उनके पास पड़ा हुआ है, जिसे न जाने किस काम में लगा दिया होता और उस काम के द्वारा समाज में न जाने क्या व्यवस्था उत्पन्न हो गई होती। न जाने समाज का कैसा कायाकल्प हुआ होता। लेकिन नहीं, वही धन बेटे में, पोते में, जमीन और जेवर-सब में ऐसे ही तबाह होता चला जाता है।समझदारी का शिक्षणमित्रो! आज आदमी के पास कोई लक्ष्य, कोई दिशा नहीं है। हमारे पास विद्या है तो हम इसका क्या करें? पैसा है तो इसका क्या करें? समाज के सामने ढेर लगी समस्याओं का हल किस तरीके से करें, कुछ समझ में नहीं आता। ऐसी बेअक्ली की अवस्थाको दूर करने के लिए यह आवश्यकता अनु...

मॆ उपरवाला ......

मैं उपरवाला बोल रहा हूँ, जिसने ये पूरी दुनिया बनाई वो उपरवाला..तंग आ चूका हूँ मैं तुम लोगों से,घर का ध्यान तुम न रखो और चोरी हो जाये तो, “उपरवाले तूने क्या किया”.गाड़ी तुम तेज़ चलाओ और धक्का लग जाये तो, “उपरवाले……..”.पढाई तुम न करो और फेल हो जाओ तो, “उपरवाले………”.ऐसा लगता है इस दुनिया में होने वाले हर गलत काम का जिम्मेदार मैं हूँ.आजकल तुम लोगो ने एक नया फैशन बना लिया है, जो काम तुम लोग नहीं कर सकते, उसे करने में मुझे भी असमर्थ बता देते हो!उपरवाला भी भ्रष्टाचार नहीं मिटा सकता,उपरवाला भी महंगाई नहीं रोक सकता,उपरवाला भी बलात्कार नहीं रोक सकता…….ये सब क्या है?भ्रष्टाचार किसने बनाया?मैंने?किससे रिश्वत लेते देखा है तुमने मुझे?मैं तो हवा, पानी, धुप, आदि सबके लिए बराबर देता हूँ,कभी देखा है कि ठण्ड के दिनों में अम्बानी के घर के ऊपर मैं तेज़ धुप दे रहा हूँ, या गर्मी में सिर्फ उसके घर बारिश हो रही है ?उल्टा तुम मेरे पास आते हो रिश्वत की पेशकश लेकर,कभी लड्डू,कभी पड़े,कभी चादर.और हा,आइन्दा से मुझे लड्डू की पेशकश की तो तुम्हारी खैर नहीं,मेरे नाम पे पूरा डब्बा खरीदते हो,एक टुकड़ा मुझपर फेंक कर बाकि ख...

सबसॆ महत्वपुर्ण

l ••हम जो चाहते हैं उसे पा सकें, यही सफलता है। इस सफलता को पाकर जो सुख की अनुभूति होती है, उसे शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता। इस सफलता को पाने के कुछ मंत्र हैं, आप इन्हें अपनी लाइफ में शामिल करके सफलता को आसानी से पा सकते हैं।१. लाइफ में हर काम सोच-समझकर अपनी कपेसिटी के अनुसार ही चुनें और उसे पूर्ण करके ही दम लें, चाहे वह कितना ही मुश्किल क्यों ना हों।२. नींद, आलस, टाइमपास जैसी आदतों को त्यागकर ही अपने लक्ष्य की ओर कदम उठाएं।३. बहानेबाजी या टालते रहने की प्रवृति इंसान को कामचोर बनाती है। समस्या का समाधान करें, घबराकर उनसे भागने की कोशिश ना करें।४. हमेशा सकारात्मक विचारधारा अपनाएं, आशावादी बनें, क्योंकि निराशावादी विचारधारा ही इंसान को कुंठित कर असफलता की ओर धकेलती जाती है।५. ऎसे लोगों से अपना सम्बन्ध बनायें, जो आपकी तहर महत्वाकांक्षी व परिश्रमी हों तथा सच्चे व दृढ इच्छाशक्ति वाले हों। निराश व्यक्ति का साथ निराशा ही देगा।६. किसी काम में असफल होने पर भाग्य को दोषी ना मानकर पूरी शक्ति व निष्ठा के साथ अपने लक्ष्य की प्राप्ति में जुट जांए।७. मूड नहीं बना है या अभी मूड नहीं है नामक बीमा...

पिकॆ हिन्दु विरोधी नही है जी

पीकेहिन्दू विरोधी कतई नहीं है| ना ही यह अन्य किसी धर्म काविरोध करती है| अपितु यह समझाती है कि छोटे छोटे बच्चे जिनमें हम संस्कार रोपना चाहता हैं वो अक्सर बड़े होते-होते धर्मविरोधी, धर्म कट्टर, अथवा नास्तिक क्यूँ हो जाते हैं| कैसे उनकी आस्था पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है जब उनको अपने सवालों के जवाब नहीं मिलते, क्यूंकि बड़े अक्सर उनके अति साधारण एवं बुनियादी परन्तु उलझे हुए सवालों से झुंझलाकर कर कहते हैं कि चुप हो जाओ, परेशान मत करो, भगवान् के बारे में अधिक प्रश्न नहीं पूछा करते| ऐसा क्यूँ होता है कि जब हमारे पास बच्चों के, युवाओं के और अन्य किसी के जवाब नहीं होते तोहम गुस्सा क्यूँ करते हैं| जबकि हमें जरूरत होती है कि हम कहीं ना कहीं से खोजकर अपने बच्चों के अथवा प्रश्नकर्ता के प्रश्नों का उत्तर दें| आज के समय में तो लगभग सभी की पहुँच में आन्तरजाल (इन्टरनेट) हैं जहाँ पर परोक्ष खोजी यंत्र (सर्च इंजीन) उपलब्ध हैं जिनका उपयोग कर आप किसी भी विषय परजानकारी एकत्रित कर अपने व अपनों के सवालों के जवाब ढूंढ सकते हैं|अब आते हैं पीके की कहानी पर| इसमें एक परग्रही (एलियन) दूसरे ग्रह से आता है जहाँ पर सभ्य...