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विनम्रता

जब जीवन की अस्थिरता समझ में आती है, तब मन विनम्र हो जाता है कभी-कभी ज़िंदगी हमें सबसे बड़ी सीख बहुत छोटे अनुभवों के माध्यम से देती है। कोई रिश्ता टूट जाए, कोई सपना बिखर जाए, कोई अपनी सफलता पर गर्व करे या असफलता पर दुखी—इन सबके बीच एक अदृश्य धागा है, जिसे बहुत कम लोग पहचान पाते हैं: जीवन में कुछ भी स्थायी नहीं है। सब बदलता है, सब चलता रहता है, और कुछ भी हमेशा के लिए नहीं होता। 1.  जब “सब अस्थायी है” समझ आता है, तब घमंड गिर जाता है हम अक्सर किसी उपलब्धि, किसी पद, किसी शक्ति या किसी संपत्ति पर गर्व करने लगते हैं। लेकिन सच तो यह है कि समय के आगे कोई भी स्थिति स्थायी नहीं है। जिस कुर्सी पर आज हम बैठे हैं, कल कोई और बैठेगा। जिस शोहरत पर हम आज इतराते हैं, कल कोई नाम तक न ले। जब यह समझ भीतर उतर जाती है, तो इंसान विनम्र होना सीख जाता है। वह जान जाता है कि अहंकार का कोई अर्थ नहीं—क्योंकि जिसे हम “अपना” मानते हैं, वह भी समय का उधार है। 2.  दुख और टूटन भी अस्थायी हैं अक्सर लोग सोचना शुरू कर देते हैं कि उनका दर्द हमेशा रहेगा—परंतु जीवन की अस्थिरता का नियम यह भी कहता है कि दुख भी गुजर जाता ...

दिखावा

आजकल की शादियाँ देखकर दिल रोता है।   कुछ घंटों का फंक्शन...   डेकोरेशन, लाइटिंग, खाना, बैंड-बाजा, डेस्टिनेशन वेन्यू...   लाखों-करोड़ों उड़ जाते हैं, एक रात में।   और फिर?   वही शादी कुछ महीनों, कुछ सालों में...   या कभी-कभी तो कुछ दिनों में ही टूट जाती है।   सारे सपने, सारी चमक-दमक...   सिर्फ़ तलाक के कागजों और खाली बैंक बैलेंस रह जाते हैं।   तो सोचिए...   वो सारा पैसा जो एक शाम की चकाचौंध में उड़ा दिया,   अगर उसी बेटी के नाम पर FD करवा दिया जाता,   तो उसकी पूरी जिंदगी संभल जाती।   उसकी पढ़ाई, उसका घर, उसका बिजनेस, उसकी मुश्किल घड़ी...   हर जगह वो पैसा उसका सहारा बनता।   शादी का असली मतलब है –   दो लोगों का साथ, विश्वास और जिम्मेदारी।   यह किसी होटल की ग्रैंड एंट्री से नहीं,   दिल की सच्चाई से बनता है।   पैसा दिखावे पर नहीं,   बेटी की सुरक्षा पर लगाओ।   क्योंकि वो चमकती लाइटें एक ...