धर्म के नाम पर
तो परसों शाम से पहलगाम का न्यूज देख रहा हूं मैं, दुःख 26 से ज्यादा लोगों की मृत्यु का है, और दिल के किसी कोने में एक कसक भी, सोचा कुछ लिंखू पर फिर सोचा की लिखना सही भी होगा क्योंकि हालात बदत्तर है देश का, जनता की, लिखने को तो लिख दो पर वही तुम सत्ता के गुलाम हो, तुम विपक्ष के गुलाम हो। फिर भी लिख रहा पता न किसपे क्या असर होगा वो तो पोस्ट के रिएक्शन से पता चलेगा तो सच ये है की हम बंट रहे है, मजहब के नाम पे, कास्ट के नाम पे, स्टेट के आधार पे, भाषा के आधार पे, क्षेत्र के आधार पे, कही कही शक्ल के आधार पे(ख़ासकर के पूर्वोत्तर राज्यों के लोगो के साथ ऐसा भेद भाव देखा जाता है) ये बंटवारा हम खुद के लिए नही करते है, यही एक कटु सत्य है इसे चाहे कोई कितना भी झुठला ले पर सत्य यही है की हम खुद के लिए नही बंटे है हमें बांट दिया गया है और इसी बंटवारे से चल रही है राजनीति, धर्म के नाम पे हिंदुत्व का झंडा लिए कुछ पार्टी वाले, कुछ इस्लाम के सपोर्ट करने वाले इन्होंने देश बांटा है, कास्ट के हिसाब से राज्यों के जनता को बांट दिया गया है, इसमें मलाई सभी राजनीतिक पार्टी वाले खाते है इससे फायदा किसको है अगर देख...