बजट
सरकारों ने आज तक भले ही हम देशवासियों के लिए न जाने कितने ही अनगिनत बजट, योजनाओं, और राहत पैकेजों की घोषणाएं की हों लेकिन हाथ पल्ले कुछ ज्यादा पड़ता दिखा कभी नहीं विशेषकर हम मिडिल क्लास के हाथ तो हमेशा से खाली रहे हैं और आगे भी खाली ही रहने वाले हैं। लेकिन हर बच्चे के जीवन में उसके माता-पिता के रूप में एक ऐसी सरकार ज़रूर होती है , जिसका हर बजट, योजना और पैकेज केवल उसी की ज़रूरतों को पूरा करने के हिसाब से बनाया जाता है वो भी बिना किसी टैक्स, धन्यवाद या फायदे की उम्मीद रखते हुए। सरकार का बजट और राहत पैकेज तो साल में एक ही बार आता है लेकिन पिता का यह राहत पैकेज उनके हर शाम काम से घर लौटने पर आता ही आता है। देश के बड़े बड़े वित्त मंत्रियों की तरह महंगे फोल्डरों या लाल कपड़े में लिपट कर तो नहीं लेकिन साइकिल के हैंडिल पर टंगे हम सभी के बचपन वाले इस चिरपरिचित छींट के थैले में। शायद सभी के ज़हन में इसकी यादें आज भी तरोताजा होंगी। शाम को गली के मोड़ से ही सुनाई देती घर लौटते पापा की साईकिल की घंटी सुनकर बच्चे जब दौड़ कर दरवाज़ा खोलते तो साईकिल के हैंडिल पर टंगा यह थैला एक अलग ही खुशि...