भावशून्य
जीवन ! जीवन नश्वर है। लेकिन यह सदी का वो लम्हा है जब दुनिया जिंदगी की नश्वरता को इतना निकट से देख रही है। जगह जगह ह्रदय विदारक दृश्य है। कही कोई महिला अपने पति के इलाज के लिए हॉस्पिटल दर हॉस्पिटल भटक रही है तो कहीं कोई पिता बेटे के कंधे पर हाथ रखे इलाज की गुहार कर रहा है। कबीर कहते है सांसो के भीतर एक सांस ही ईश्वर है खुदा है। उस सांस की सलामती के लिए मानवता को बड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है उखड़ती साँसे ,रोते बिलखते चेहरे ,शोकाकुल परिजन और इस मंजर को देख कर भावशून्य होता बचपन हमे बहुत कुछ सोचने को मजबूर करता है। अखबारों में शोक संदेश के पन्नो का दायरा बढ़ता जा रहा है। अपने प्रियजन को खोने का दुःख तो हर इंसानी ह्रदय में एक जैसा होता है। लेकिन जिनके पास पैसा है , उनके दुःख की गहनता इन इश्तिहारो के जरिये घनीभूत होकर सामने आती है। वक्त का वो दौर ही अच्छा होता है जब अख़बार के पन्नो पर पसरे जन्म दिन के संदेशो की संख्या ज्यादा हो और शोक संदेश सिक...