इरफ़ान खान
वे बेहद शानदार कलाकार होने के साथ-साथ एक गहरी शख्यिसत के भी मालिक थे। वे बहुत सोच समझकर ही किसी विषय पर अपनी राय रखते थे। यूं तो वे सामान्यतः फिल्मों से इत्तर विषयों पर बोलते नहीं थे, पर बोलते थे तो उन्हें कायदे से सुना जाता था। इरफान खान बाकी सितारों से अलग थे। दरअसल वे स्टार नहीं कलाकार थे। वे सेकुलर कहलाने की ख्वाहिश रखने वाले नहीं थे। उन्हें भारत में डर भी नहीं लगता था। उन्होंने कभी माई नेम इज़ खान का हौव्वा भी खड़ा नहीं किया। उन्होंने अंडरवर्ल्ड के पैसे पर फलने-फूलने का सपना भी नहीं पाला। उन्होंने जो किरदार निभाए उसमें वे रच बस गए। उनकी पीकू, लंच बॉक्स, मकबूल हिन्दी मीडियम जैसी तमाम फिल्मों को देखकर लगता है कि हर किरदार उनके लिए ही बना था। वे बस जिन्दगी भर एक सच्चे कलाकार भर रहे। इरफान ने अपने स्वार्थ के लिए धर्म का कार्ड कभी नहीं खेला। उन्होंने हर धर्म को उतना ही सम्मान दिया जितना वे अपने इस्लाम धर्म को देते थे। उन्होंने कभी हिंदू देवी देवताओं का अपमान नहीं किया। वे कभी अवार्ड वापसी गैंग के सदस्य भी नहीं बने। वे सदा एक सच्चे कलाकार के रूप में ही रहे। इरफान खान की मौत पर देश में ज...