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इरफ़ान खान

वे बेहद शानदार कलाकार होने के साथ-साथ एक गहरी शख्यिसत के भी मालिक थे। वे बहुत सोच समझकर ही किसी विषय पर अपनी राय रखते थे। यूं तो वे सामान्यतः फिल्मों से इत्तर विषयों पर बोलते नहीं थे, पर बोलते थे तो उन्हें कायदे से सुना जाता था। इरफान खान बाकी सितारों से अलग थे। दरअसल वे स्टार नहीं कलाकार थे। वे सेकुलर कहलाने की ख्वाहिश रखने वाले नहीं थे। उन्हें भारत में डर भी नहीं लगता था। उन्होंने कभी माई नेम इज़ खान का हौव्वा भी खड़ा नहीं किया। उन्होंने अंडरवर्ल्ड के पैसे पर फलने-फूलने का सपना भी नहीं पाला। उन्होंने जो किरदार निभाए उसमें वे रच बस गए। उनकी पीकू, लंच बॉक्स, मकबूल हिन्दी मीडियम जैसी तमाम फिल्मों को देखकर लगता है कि हर किरदार उनके लिए ही बना था। वे बस जिन्दगी भर एक सच्चे कलाकार भर रहे। इरफान ने अपने स्वार्थ के लिए धर्म का कार्ड कभी नहीं खेला। उन्होंने हर धर्म को उतना ही सम्मान दिया जितना वे अपने इस्लाम धर्म को देते थे। उन्होंने कभी हिंदू देवी देवताओं का अपमान नहीं किया। वे कभी अवार्ड वापसी गैंग के सदस्य भी नहीं बने। वे सदा एक सच्चे कलाकार के रूप में ही रहे। इरफान खान की मौत पर देश में ज...

सावधान

19 फरवरी टोटल केस:-  3 19 मार्च टोटल केस:- 198 19 अप्रैल टोटल केस:-  17 हजार से भी अधिक , और आप हम सोच रहे हैं कि तीन मई के बाद सब कुछ पहले जैसें सामान्य हो जाएगा ? 🤔  घर पर ही रहिए प्रभु🙏🙏 भारत की जनसंख्या = 135 करोड़ यदि प्रतिदिन 1 लाख व्यक्तियों की covid-19 संक्रमण की जाँच की जाए तो 13500 दिन या लगभग 37 साल लगेंगे 135 करोड़ लोगों की जांच करने में और इतने समय मे भारत पूरी तरह कोरोना से खत्म हो चुकेगा।  अब यदि हम इस टेस्टिंग को 10 लाख व्यक्ति प्रतिदिन भी कर दें तो भी 1350 दिन अर्थात लगभग पौने 4 साल लग जाएंगे 135 करोड़ लोगों की टेस्टिंग करने में और इतना समय भी पर्याप्त है देश को खत्म होने में।                    छोटी सी बात समझ नही आ रही तो अमेरिका को देख लो । लॉक डाउन को अंडर एस्टीमेट करके ,टेस्टिंग पर जोर देने का नतीजा , 30 लाख से ज्यादा टेस्टिंग करने के बाद भी40 000 नागरिकों की मौत हो चुकी है और लगभग 7 लाख लोग कोरोना पॉजिटिव हो चुके हैं ।  इसमें लॉक डाउन के साथ ट्रेसिंग ,टेस्टिंग दोनों शामिल है । बिना लॉक डाउन...

कोरोना

शरीर से परे की बात है... ऱाम ,कृष्ण ,बुद्ध ,महावीर, कबीर तुलसी ,ओशो भी अगर होते तो उनके शरीर पर भी ये वायरस असर करता ही.....सुकरात पर भी जहर का असर हूआ.....मीरा को जहर का असर नही हुआ ये मुझे काल्पनिक लगता है पर हल्का गहरे मे जाएं और माने की कृष्ण की कृपा से वो जहर अमृत भी हो गया इसलिए मीरा की मृत्यु का कहीं कोई उल्लेख नही है कहते हैं वो सशरीर ही मूर्ति में समा गई थी...! शरीर मिट्टी है चाहे वह अवतार का ही क्यों न हो...उसे व्याधि, पीड़ा और मृत्यु से गुजरना ही होगा....! जीवित बोलना सुनता चलता शरीर ही वह एकमात्र यंत्र है जिससे आत्मा के अस्तित्व का आभास होता है ....पर मृत शरीर के postmortem मे कभी आत्मा की मौजूदगी नही पाई गई..! शरीर साधन है ..मंदिर है ..और हम आत्मा की खोज मे सफल हो या न हो..आखिर होना हर हाल मे इसे मिट्टी ही है...! महत्व तो उस तथाकथित आत्मा का है...जिसका गीता मे जिक्र हैं ..जो ना कभी कटती हैं ना जलती है ना ही नष्ट होती है.. ! इसलिए अपने सुन्दर बलिष्ठ शरीर पर गुमान न करे घर पर रहें सुरक्षित रहे....अन्यथा हमे कभी आत्मा मिले न मिले..पर चित्रगुप्त हमारी हरेक ही file लिये चौराहे ...

लॉक डाउन का असर

इस संकट के समय में जब  हमारे दिमाग में हर समय Negative thoughts  आ रहे हैं,  तो चलो आज कुछ Positive बाते भी हो जाए... आज आपको इस कोरोना दौर की कुछ पॉजिटिव बाते बताने जा रहा हूं . 1️⃣ पहली बात मृत्यु दर की करें तो करीब 400 मृत्यु रोजाना हमारे देश में रोड एक्सीडेंट से होती है जोकि इस लोक डाउन के चलते नगण्य हो गई है....  2️⃣ दूसरी बात जिस पॉल्यूशन को हमारी सरकार कोशिशों के बावजूद भी कंट्रोल नहीं कर पाई वह अब लोक डाउन के चलते अपने आप ही कंट्रोल हो गया है शायद ओजोन लेयर  भी अपने आप को रिस्टोर कर ले क्योंकि  सबसे ज्यादा प्रदूषण करने वाले  हवाई जहाज  बिल्कुल बंद है.....  3️⃣ तीसरी बात क्राइम पूरी तरह से कंट्रोल हो गया है ..... 4️⃣ चौथी बात पूरे विश्व में सफाई अभियान जोरों शोरों से चल रहा है हर घर हर गली हर रास्ते को साफ किया जा रहा है छिड़काव हो रहे हैं जिससे लगता है की कोरोना के अलावा अन्य बीमारी के कीटाणु भी इस पृथ्वी से खत्म हो जाएंगे .... 5️⃣ पांचवी बात lockdown के चलते जब हम सब घरों में बंद है तो परिवार का महत्व भी हमें समझ में आ रहा है और वर्ष...