अजब देश है साहब,
भारत के मंदिरों में जितना सोना पड़ा है उससे भारत के सभी ग्रामीण इलाकों में गरीबों के लिए पक्के घरों का इंतजाम हो सकता है, गरीब ग्रामीणों के लिए समुचित रोजगार और सम्मानित जीवन जीने की व्यवस्था हो सकती है. किसानों के लिए सस्ती खाद और सिचाई की व्यवस्था हो सकती है. सस्ते अस्पताल और स्कूलों की व्यवस्था हो सकती है. भूखे नंगे कचरा बीनने वाले बच्चों के लिए शिक्षा और भोजन, आवास की व्यवस्था हो सकती है, सस्ते ब्याज पर कर्ज देकर दंगा करने और चौराहों पर ताश खेलने व् दारू पीकर उत्पात मचाने वाले युवाओं को स्वरोजगार कराने की व्यवस्था हो सकती है. इसी प्रकार जितना चंदा मस्जिदें बनवाने के लिए एकत्र किया जाता है जिनका प्रयोग बाद में ए के 47 बंदूकें, ग्रेनेड और बारूद स्टोर करने में किया जाता है, यदि वही पैसा मुसलमान अपने बच्चों की तालीम( शिक्षा) पर खर्च करें तो वो आतंकी और जिहादी बनने की बजाय, होटलों पर प्लेटें धोने की बजाय, गैराजों में पंचर जोड़ने की बजाय, पतंग उड़ाने की बजाय, पढ़ लिख कर काबिल बन सकेंगे, अपने परिवार का न सिर्फ भरण पोषण करेंगे बल्कि अपना नाम अच्छे कामों के लिए दुनिया में रोशन...