भारत रत्न
क्या क्रिकेट “सामंतवादी” खेल है? =================== अभी दो दिन पहले ही मैंने सचिन तेंदुलकर को मेजर ध्यान चंद के ऊपर वरीयता देने की आलोचना करते हुए एक लेख लिखा था। सो इस बारे में कोई दो राय नहीं हैं कि मेरे हिसाब से मेजर साब को भारत रत्न पहले मिलना चाहिए या दोनों को साथ-साथ मिलना चाहिए। लेकिन आज एक मित्र ने एक वरिष्ठ पत्रकार का लेख मुझे भेजा। इस लेख की शुरुआत में लिखा है: **** उद्धरण आरम्भ **** क्रिकेट-जैसे घोर सामंती और औपनिवेशिक खेल को सम्मानित क्यों किया है? इस खेल का इतिहास क्या है? क्रिकेट अंग्रेजों का खेल है और अंग्रेजों के पूर्व गुलाम देशों में ही यह खेला जाता है। दुनिया की अन्य महाशक्तियों-अमेरिका, रुस, चीन, फ्रांस, जर्मनी, जापान आदि देशों में इसका कोई महत्व नहीं है। दुनिया के लगभग 200 राष्ट्रों में से केवल राष्ट्रकुल के 50 देशों में इसे राष्ट्रीय खेल का दर्जा प्राप्त है। इस खेल से देश की युवा-पीढ़ी के समय और धन की बेहिसाब बर्बादी होती है। कई-कई दिनों तक चलनेवाले खेल को खेल कौन कहेगा? दो आदमी बल्ला घुमाएं और 11 आदमी दिन भर खड़े-खड़े गेंद झेलने की फिराक में र...