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कांग्रेस का नया गांधी

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देश की 127 साल पुरानी राजनीतिक पार्टी कांग्रेस ने जयपुर की चिंतन बैठक में राहुल गांधी को दूसरे नंबर का नेता तो बना दिया लेकिन उनके सामने खुद अपनी जमीन तैयार करने की चुनौती है. राजीव व इंदिरा जैसे नामों में निजी करिश्मा भी दिखता था, राहुल में वह बात नहीं, इस फैसले से कांग्रेस को कोई विशेष फायदा नहीं होगा . आज राजनीति का परिदृश्य बदल गया है . बदले हुए परिदृश्य में राहुल किसी भी पार्टी के समक्ष कोई चुनौती पेश नहीं कर सकते हैं . राज्यों में करिश्माई नेतृत्व के आगे वे टिक नहीं पायेंगे . राहुल के अब तक के राजनीतिक सफर को देखें , तो इसका सहज भान हो जाता है . पिछले वर्षो में विधानसभा चुनावों में जहां - जहां उनके कदम पड़े , वहां कांग्रेस की दुर्गति किसी से छिपी हुई नहीं है . राहुल गांधी के पास कांग्रेस के पूर्व के उत्तराधिकारियों की तरह का स्पार्क नहीं है . उनकी बोली में ऐसा आकर्षण नहीं है कि लोग उन्हें सुनने के लिए खिंचे चले आयें और उनके कहने पर कांग्रेस को वोट दे ...