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राजेश खन्ना

हिंदी फिल्मों के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना का निधन हो गया है। 'अराधना', 'अमर प्रेम', 'सफर', 'कटी पतंग' और 'आनंद' जैसी फिल्मों में जीवंत ऐक्टिंग करने वाले राजेश खन्ना ने बुधवार दोपहर बांद्रा स्थित अपने घर 'आशीर्वाद' में अंतिम सांस ली। उन्हें एक दिन पहले ही लीलावती अस्पताल से छुट्टी दी गई थी। इसके बाद बुधवार को तबीयत बिगड़ने के बाद उन्हें घर पर ही वेंटिलेटर पर रखा गया था। उनका अंतिम संस्कार कल 11 ब जे होगा। 'आनंद' फिल्म में 'मौत तो एक कविता है' और 'जिंदगी लंबी नहीं, बड़ी होनी चाहिए'... जैसे संवादों के जरिए हिंदी फिल्म दर्शकों के दिलो-दिमाग पर छा जाने वाले काका (राजेश खन्ना) ने सचमुच बड़ी जिंदगी जी ली। जिस दौर में उनकी लोकप्रियता चरम पर थी तो कहा जाता था 'ऊपर आका, नीचे काका'। लड़कियों के बीच तो उनकी दीवानगी का आलम यह था कि कई लड़कियों ने उनकी तस्वीर से शादी कर ली थी। 70 वर्षीय राजेश खन्ना को अप्रैल से ही कई बार अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था और उन्हें कल ही लीलावती अस्पताल से छुट्टी दी गई थ...

समय अमूल्य है,

जीवन का महल समय की -घंटे -मिनटों की ईंटों से चिना गया है। यदि हमें जीवन से प्रेम है तो यही उचित है कि समय को व्यर्थ नष्ट न करें। मरते समय एक विचारशील व्यक्ति ने अपने जीवन के व्यर्थ ही चले जाने पर अफसोस प्रकट करते हुए कहा था-मैंने समय को नष्ट किया, अब समय मुझे नष्ट कर रहा है।’’ खोई दौलत फिर कमाई जा सकती है। भूली हुई विद्या फिर याद की जा सकती है। खोया स्वास्थ्य चिकित्सा द्वारा लौटाया जा सकता है पर खोया हुआ समय किसी प्रकार नहीं लौट सकता, उसके लिए केवल पश्चाताप ही शेष रह जाता है। जिस प्रकार धन के बदले में अभिष्ठित वस्तुएँ खरीदी जा सकती हैं, उसी प्रकार समय के बदले में भी विद्या, बुद्धि, लक्ष्मी कीर्ति आरोग्य, सुख -शांति, मुक्ति आदि जो भी वस्तु रुचिकर हो खरीदी जा सकती है। ईश्वर ने समय रुपी प्रचुर धन देकर मनुष्य को पृथ्वी पर भेजा है और निर्देश दिया है कि इसके बदले में संसार की जो वस्तु रुचिकर समझे खरीद ले। किंतु कितने व्यक्ति हैं जो समय का मूल्य समझते और उसका सदुपयोग करते हैं ? अधिकांश लोग आलस्य और प्रमाद में पड़े हुए जीवन के बहुमूल्य क्षणों को यों ही बर्बाद करते रहे हैं। एक-एक दिन करके...