पाप
भारत में करोड़ों की जनसंख्या में से कई करोड़ लोग महाकुंभ स्नान करके आए, लोगों की हिम्मत, भावनाएं और मन की आस्था ये सराहनीय कार्य हैं। निस्संदेह मन की आस्था है, ना किसी से होड़ है,ना ही दिखावा है। गंगा,यमुना, सरस्वती के स्नेह में भीगने की आस्था है। लेकिन "पाप", पाप, गलतियां, पछतावे को ना गंगा धो पाती हैं ना यमुना, ना सरस्वती, जो अहिंसक भावनाएं हमारी सोच से निकलती हैं ना उसकी अनुभूति उसका पछतावा अगर हमारे "मन" के घाट पर ना हो तो चाहे लाख डुबकी लगाओ गंगा में, गंगा जमना गायब रहेगी ।