अटल सत्य
"अचानक आपको खबर मिलती है कि अल्पना नहीं रही! हार्ट अटैक, एक्सीडेंट या अन्य किसी वजह से मेरी मौत हो गयी। चौकिंये मत! यही अटल सत्य है। क्योंकि यह दिन एक ना एक दिन आयेगा और जरुर आयेगा। उस दिन मेरी सांसे थम जायेंगी, आंखे बंद हो जायेंगी और मेरी रुह मेरा शरीर छोड़ देगा! छूट जायेगा मेरा गुरुर, मेरा अभिमान, सारे दोस्त, सभी रिश्तेदार, मेरा प्यार... और छूट जायेगा धन-दौलत, रूपया-पैसा, कपडे़-जूते सब का सब यहीं रह जायेगा। मैं कुछ भी साथ नहीं ले जा पाऊंगी। तो फिर मैं सब कुछ समेटने में क्यों लगी हूं? क्यों मैं अपनी जिंदगी सिर्फ और सिर्फ पाने और कमाने में लगा रही हूं? जबकि मुझे पता है मेरा गुजारा कम में भी हो सकता है। तो फिर यह भागम-भाग क्यूं है? इच्छाएं अनंत हैं! अरमान बहुत हैं! सपने बहुत हैं! लालसा व तृष्णा बहुत हैं, जो कभी भी खत्म नहीं हो सकती। हम क्यूं भविष्य को लेकर चिंतित हैं? हम क्यूं बीते वक्त से परेशान है? हम क्यूं नहीं सिर्फ और सिर्फ वर्तमान को जीयें? क्या मुझे मेरा जीवन बस संपत्ति व शोहरत कमाने के लिये मिला है? नहीं! मैं यहां जिंदगी काटने नहीं बल्कि जीने आ...