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मौत का स्वाद

अपनी मृत्यु और अपनों की मृत्यु डरावनी लगती है। बाकी तो मौत को enjoy ही करता है इंसान ... मौत के स्वाद का चटखारे लेता मनुष्य .. थोड़ा कड़वा लिखा है पर मन का लिखा है ... मौत से प्यार नहीं , मौत तो हमारा #स्वाद है।--- बकरे का,गाय का,भेंस का,ऊँट का,सुअर का,हिरण का,तीतर का, मुर्गे का,हलाल का,बिना हलाल का, ताजा बकरे का,भुना हुआ बकरे का,छोटी मछली, #बड़ी मछली,  हल्की आंच पर सिका हुआ मछली। न जाने कितने बल्कि अनगिनत स्वाद हैं मौत के। क्योंकि मौत किसी और की, और स्वाद हमारा.... स्वाद से कारोबार बन गई #मौत।  मुर्गी पालन, मछली पालन, बकरी पालन, पोल्ट्री फार्म्स। नाम "पालन" और मक़सद "हत्या"❗  #स्लाटर हाउस तक खोल दिये। वो भी #ऑफिशियल।  गली गली में खुले नये बिरयानी #रेस्टॉरेंट, मौत का कारोबार नहीं तो और क्या हैं ? मौत से प्यार और उसका कारोबार इसलिए क्योंकि मौत हमारी नही है।  जो हमारी तरह बोल नही सकते, #अभिव्यक्त नही कर सकते, अपनी सुरक्षा स्वयं करने में समर्थ नहीं हैं,  उनकी असहायता को हमने अपना बल कैसे मान लिया ?  कैसे मान लिया कि उनमें #भावनाएं नहीं होतीं ? या उनकी आहें नह...