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ज़िन्दगी रे

【ज़िंदगी, सुक़ून, और सफ़र..】 ज़िंदगी जैसे तमाम तरह के भ्रमों से घिरी हुई है, और सबसे बड़ा भ्रम है कि इंसान सोचता है जैसे वो हमेशा ज़िंदा रहेगा, जो ज़िंदगी का सबसे बड़ा झूठ है. हम सच जानते हैं लेकिन उसे स्वीकार नहीं करते, हम इस तरह जीते हैं मानो क़यामत तक ज़िंदा रहेंगे. अपने आज की परवाह नहीं करते, और बस कल को सुधारने के लिए अपने आज को जीते नहीं; अंततः आप हमेशा आज में ज़िंदगी ढोते रहते हैं और जिस कल के लिए ये सब करते हैं वो कभी नहीं आता.  हर 'कल' आपका, हर रोज़ 'आज' हो जाता है और आप एक नए कल के लिए इस आज के बीतते लम्हों को भी नज़रंदाज़ किए रहते हैं, और अंततः आप एक अटल सत्य से मिलते हैं, 'मृत्यु', जो अंत में आनी ही थी, बस आप ही बेफ़िक्र हुए बैठे रहे कि जैसे ज़िंदगी अनंत है, लेकिन वैसा कुछ होता नहीं.  ज़िंदगी का अटल सत्य है मौत, लेकिन हम भुला देते हैं इसे. ज़िंदगी और मौत जैसे मोमबत्ती के धागे के सिरों की तरह है, मोमबत्ती के जल उठने के बाद ही से धागा मोम के साथ जलना शुरु हो जाता है, और एक दिन जब मोम और धागा दोनों ख़त्म हो जाते हैं, तो सब ख़त्म हो जाता है.  आप भी जानते हैं कि वो दिन आना ह...