सृष्टि एवं जीवन की व्यवस्था में कोई दुःख नहीं , सामाजिक व्यवस्था ने अज्ञान के कारण हमें जो दुःख दिए हैं उनका समाधान सृष्टि एवं जीवन की व्यवस्था समझकर एवं अपनाकर किया जा सकत...
आन कहूँ या शान कहूँ ! मान कहूँ या मर्यादा ! खुशियों की चाबी कहूँ या हिस्सा कहूँ मैं आधा | हाँ ! सब कुछ तो है बेटी | आन भी है ,शान भी है ,जान भी है और मान भी है | बेटी की कोई सीमित परिभाषा या ...